राजनीति की बिसात पर अखिलेश यादव की चाल, छोटे मोहरों से बड़े दांव की तैयारी

लखनऊ, 4 मई . समाजवादी पार्टी (सपा) ने मिशन 2027 के लिए अपनी चालें शुरू कर दी हैं. इस बार अखिलेश यादव की निगाह उन छोटे-मझोले क्षत्रपों पर है, जिनका क्षेत्रीय असर बड़ा है. सियासी शतरंज पर बड़े खिलाड़ियों से टकराने के लिए अखिलेश उन नेताओं को अपने खेमे में ला रहे हैं, जो भाजपा-सुभासपा जैसे गठबंधनों में सेंध लगा सकते हैं.

हाल ही में महेन्द्र राजभर की सपा में एंट्री ने इस योजना के संकेत दे दिए हैं. कभी सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर के खास रहे महेन्द्र राजभर ने 2017 में मऊ सदर से बाहुबली मुख्तार अंसारी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. तब पीएम मोदी ने खुद उनके लिए प्रचार किया, उन्हें कटप्पा कहा, लेकिन कुछ ही साल में महेन्द्र राजभर सुभासपा से अलग हो गए और अपने बलबूते पूरब में राजनीतिक जमीन मजबूत की.

अब अखिलेश उन्हें भाजपा-सुभासपा के खिलाफ बड़ा हथियार बना सकते हैं, खासकर घोसी, बलिया, गाजीपुर जैसे इलाकों में, जहां राजभर प्रभावशाली माने जाते हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, अखिलेश यादव का ध्यान अब सिर्फ ओबीसी नहीं, बल्कि दलित वोट बैंक को भी साधने पर है.

लोकसभा चुनाव के बाद वह तेजी से दलित गोलबंदी की रणनीति पर काम कर रहे हैं. राणा सांगा विवाद को ठाकुर बनाम दलित मोड़ देना, बाबा साहेब अंबेडकर पर केंद्रित कार्यक्रमों की श्रृंखला, ये सब सपा की नई आक्रामक रणनीति का हिस्सा हैं. भाजपा की धर्म आधारित राजनीति की काट के लिए अखिलेश सामाजिक न्याय के एजेंडे को धार दे रहे हैं.

वरिष्ठ विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है, “अखिलेश जानते हैं कि कांग्रेस के साथ रहना उनके लिए दलित परसेप्शन बनाए रखेगा. यही वजह है कि वह ‘इंडिया’ गठबंधन में बने रहने की बार-बार घोषणा कर रहे हैं. उनका मकसद हर उस जाति समूह को साथ जोड़ना है जो भाजपा के बड़े वोट बैंक में सेंध लगा सके.”

सपा प्रवक्ता अशोक यादव कहते हैं, “छोटे दल, समान विचारधारा वाले नेता, सब हमारे साथ आ रहे हैं. पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) आंदोलन को मजबूत करना, किसान, महिला, बेरोजगार जैसे वर्गों की लड़ाई लड़ना, और योगी सरकार को सत्ता से बेदखल करना हमारा मकसद है. इस सरकार की नीतियां जनविरोधी हैं, और जनता में इसकी व्यापक नाराजगी है.”

महेन्द्र राजभर जैसे नेताओं की एंट्री से सपा न सिर्फ पूरब में सुभासपा-भाजपा गठजोड़ को चुनौती देगी, बल्कि राज्यव्यापी स्तर पर छोटे-मझोले क्षत्रपों के सहारे एक नया सामाजिक गठबंधन रचने की कोशिश करेगी. मिशन 2027 की इस तैयारी में अखिलेश की रणनीति साफ है – हर इलाके में मजबूत छोटे मोहरों को अपने पाले में लाओ, ताकत बटोरकर सत्ता की गद्दी पर धावा बोलो.

विकेटी/एकेजे