जातिगत जनगणना नीतीश कुमार की सोच, तेजस्वी ले रहे क्रेडिट : नीरज कुमार

नालंदा, 2 मई . देशभर में जातिगत जनगणना कराए जाने को लेकर केंद्र सरकार के फैसले को जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने ऐतिहासिक बताते हुए इसका स्वागत किया. बिहारशरीफ के अतिथिगृह में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि यह निर्णय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वर्षों पुरानी पहल का परिणाम है, जिसे अब पूरे देश ने स्वीकार कर लिया है.

से बात करते हुए उन्होंने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बयान पर तंज करते हुए कहा कि वह क्रेडिट ले रहे हैं और पटाखे फोड़ रहे हैं. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि ‘मोदी हैं तो मुमकिन है, नीतीश हैं तो निश्चिंत हैं.’ बिहार और देश की जनता का यह मानस था कि ज्ञान की भूमि नालंदा के लाल, नीतीश कुमार ने एनडीए गठबंधन के नेतृत्व में जाति सर्वे कराकर देश में एक ऐतिहासिक कार्य किया है. आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने तार्किक ढंग से इसे स्वीकार किया और एनडीए सरकार और केंद्र सरकार ने यह स्वागत योग्य फैसला लिया. इसके लिए हम आभार व्यक्त करते हैं.

उन्होंने कहा कि जब बिहार में एनडीए की सरकार जातिगत सर्वेक्षण करवा रही थी, तब राजद विपक्ष में बैठी तमाशा देख रही थी. तेजस्वी यादव उस समय राजनीतिक रूप से इससे नहीं जुड़े थे, लेकिन अब जब केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है, तो वह क्रेडिट लेने की राजनीति कर रहे हैं. आप पर 420 का आरोप है और राजनीति में क्रेडिट लेने के मामले में भी आप 420 साबित हो गए. जब एनडीए सरकार ने यह फैसला लिया था, तब आपकी पार्टी सरकार में नहीं थी. जब नीतीश कुमार जी सदन में भाषण दे रहे थे, उससे एक साल पहले आप चार साल की उम्र में संपत्ति खरीद रहे थे. आपको क्रेडिट लेने का हक नहीं है. क्रेडिट इस बात का लें कि आपने पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग का नाम लेकर सबकी जमीन हड़प ली.

नीरज कुमार ने यह स्पष्ट किया कि जातिगत जनगणना के पीछे असली सोच और पहल नीतीश कुमार की रही है, इसलिए इसका श्रेय भी उन्हीं को मिलना चाहिए. इतिहास नीतीश कुमार जी को याद करेगा, जिन्होंने जाति सर्वे का बीज बोया. और हां, इतिहास आपके पिता लालू प्रसाद यादव को भी याद करेगा, जो कई बार जेल में लंबे समय तक रहे.

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस निर्णय के लिए ऐतिहासिक रूप से याद किए जाने की बात कही और इसे सामाजिक न्याय की दिशा में मील का पत्थर करार दिया.

पीएसके/एबीएम