जातिगत जनगणना से यह साफ हो जाएगा कि कौन आम लोगों के अधिकारों पर डाका डाल रहा है : अशोक अरोड़ा

चंडीगढ़, 1 मई . केंद्र सरकार की तरफ से जातिगत जनगणना कराए जाने के फैसले पर कांग्रेस नेता और विधायक अशोक अरोड़ा ने कहा कि यह एक बहुत अच्छा कदम है. जातिगत जनगणना से यह साफ जाहिर हो जाएगा कि आम लोगों के अधिकारों पर कौन-कौन डाका डाल रहे हैं और जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त रुख अख्तियार किया जा सकेगा.

उन्होंने से बातचीत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि वे हमेशा से ही इस बात की मांग करते आ रहे हैं कि इस देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए, ताकि सभी लोगों की आर्थिक स्थिति की असल तस्वीर सामने आ सके कि किसकी स्थिति कैसी है.

उन्होंने जातिगत जनगणना का फायदा गिनाते हुए कहा कि इससे यह साफ जाहिर हो जाएगा कि किसको कितना हक मिलना चाहिए और फिर उस दिशा में रूपरेखा निर्धारित की जाएगी और आगे कदम बढ़ाए जाएंगे.

उन्होंने आगे कहा कि हम तो हमेशा से ही यह कहते आ रहे हैं कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए. हम तो कई बार इसे कराए जाने की भी मांग कर चुके हैं. अब जब सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है, तो निश्चित तौर पर हम इसका स्वागत करते हैं.

बता दें कि बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जातिगत जनगणना को मंजूरी दी गई. सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया. 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई. जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है.

उन्होंने आगे कहा था कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा. तत्पश्चात एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी. इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाय, एक सर्वे कराना ही उचित समझा, जिसे सीईसीसी के नाम से जाना जाता है.

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