जाति-जनगणना का क्रेडिट पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार को जाता है : राजीव रंजन

पटना, 1 मई . केंद्र सरकार की ओर से देश में जाति-जनगणना कराने के फैसले के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई है. आरजेडी इसे अपना जीत बता रही है. क्रेडिट लेने की इस होड़ में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की ओर से किए गए ट्वीट पर जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने जोरदार निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जाति-जनगणना के लिए पीएम मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को क्रेडिट जाना चाहिए.

गुरुवार को न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि वे 1996-1997 की बात करते हैं, लेकिन उन्हें सीएम नीतीश कुमार की ओर से 1994 में दिए गए भाषण को भी देखना चाहिए. संसद में उन्होंने बहुत मजबूती के साथ इस सवाल के जवाब में अपनी मांग रखी थी. हम लोग साल 2020 में एनडीए सरकार के साथ थे. नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार चल रही थी और बिहार विधान मंडल ने 20-21 में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था. 2022 में पीएम मोदी से बिहार के नेतृत्व ने मुलाकात की. इस समय में भी एनडीए का शासन था. इनके समय में जातिगत सर्वे का काम बिहार में पूरा हुआ. नीतीश कुमार चुप रहे तो इसका मतलब यह नहीं कि इसका क्रेडिट आरजेडी ले. पीएम मोदी ने बिहार के मॉडल को अपनाया. इसीलिए, अगर श्रेय की बात होगी तो इसका क्रेडिट पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार को ही जाएगा.

लालू प्रसाद यादव पर जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि आज वह क्रेडिट लेने के लिए ट्वीट कर रहे हैं. लेकिन, जब वो केंद्र में मंत्री थे तो जाति-जनगणना कराने की बात नहीं करते. लेकिन, जब विपक्ष में होते हैं तो जाति-जनगणना कराने के लिए क्रेडिट लेने में खुद को शामिल कर लेते हैं.

जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग श्रेय लेना चाह रहे हैं, वह यह समझ लें कि जब ऐसे लोग पैदा भी नहीं हुए थे, तब नीतीश कुमार ने संसद में जाति आधारित जनगणना का मुद्दा उठाया था. उस समय संसद में लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के नेता चुप क्यों थे. मेरे पास इसका वीडियो है. यह लोग जनता को जवाब दें.

बता दें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया. उन्होंने पोस्ट में लिखा, “मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था, जिस पर बाद में एनडीए की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया. 2011 की जनगणना में फिर जातिगत गणना के लिए हमने संसद में जोरदार मांग उठाई. देश में सर्वप्रथम जातिगत सर्वे भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार में बिहार में ही हुआ. जातिगत जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला.“

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