यूपी की चुनौतियों को सीएम योगी ने किया स्वीकार, नतीजा सबके सामने : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

लखनऊ, 1 मई . उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर सराहना करते हुए उन्हें ‘युवा मुख्यमंत्री’ करार दिया. उन्होंने कहा कि जब आपसे उम्र में बड़े लोग खुद को युवा कहते हैं, तो आप नि:संदेह युवा मुख्यमंत्री हैं. आप आठ साल बेमिसाल, यूपी के नायक हैं.

उन्होंने महाकुंभ के आयोजन को विश्व में अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि महाकुंभ में 60 करोड़ से अधिक लोगों का आना सदियों तक याद रखा जाएगा. यह कार्य पूरे विश्व में कभी संपन्न नहीं हुआ. आप उस आयोजन के सारथी हैं. बीते आठ साल में हुआ यूपी का विकास शोध का विषय है.

उपराष्ट्रपति गुरुवार को राजधानी स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की आत्मकथा ‘चुनौतियां मुझे पसंद हैं’ का विमोचन करने पहुंचे थे.

जगदीप धनखड़ ने उत्तर प्रदेश की आर्थिक प्रगति की चर्चा करते हुए कहा कि साढ़े आठ साल में बिना कोई टैक्स लगाए 12.5 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था को करीब 30 लाख करोड़ तक पहुंचाना, अपने आप में एक शोध का विषय है. प्रति व्यक्ति आय में यूपी ने जबरदस्त छलांग लगाई है.

उन्होंने प्रदेश में हुए बुनियादी ढांचे के विकास की तारीफ करते हुए कहा कि भारत गणतंत्र के 55 प्रतिशत एक्सप्रेस-वे यूपी के पास हैं. दुनिया के कुछ ही देशों में मेट्रो है, लेकिन यूपी के छह शहरों में मेट्रो रेल सेवा है और यह देश में सर्वाधिक है. इसके अलावा 16 एयरपोर्ट, 4 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे यूपी में हैं. जेवर एयरपोर्ट का दुनिया इंतजार कर रही है, क्योंकि जेवर तो जेवर ही होता है.

उपराष्ट्रपति ने योगी आदित्यनाथ के साहस की प्रशंसा करते हुए कहा कि चुनौती से पलायन करना या उदासीन रवैया रखना कायरता की निशानी है और कायरता का कोई अंश यूपी के मुख्यमंत्री में नहीं है, इसमें कोई मेडिकल जांच की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कानून-व्यवस्था में सुधार की सराहना करते हुए कहा कि आठ साल पहले यूपी की परिभाषा अलग थी. आज कानून-व्यवस्था उच्चतम स्तर पर है. इसे स्थापित करने में कितनी चुनौतियां आई होंगी, ये मुख्यमंत्री जानते होंगे, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार किया और नतीजा आज सबके सामने है.

उपराष्ट्रपति ने संवैधानिक पदों की गरिमा पर जोर देते हुए कहा कि हमारे संविधान में दो पद सुप्रीम हैं, राष्ट्रपति और राज्यपाल. ये संविधान को संरक्षित, सुरक्षित और समर्थन करने वाले पद हैं. ऐसे गरिमापूर्ण पदों पर टिप्पणियां करना मेरे हिसाब से चिंतन और सोच का विषय है. सभी संस्थाओं को अपनी सम्यक भूमिका निभानी चाहिए. हमारे संवैधानिक संस्थानों के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए. हम सबकी अपनी सीमाएं हैं. हमारा संविधान एक दूसरे संस्थाओं से सामंजस्य मांगता है. मैं न्यायपालिका का बहुत सम्मान करता हूं. 40 साल तक मैंने इसके लिए कार्य किया. हमारे जज वन ऑफ द बेस्ट हैं. लेकिन, मैं अपील करता हूं कि हमें सहयोग और समन्वय के साथ एकजुट होकर कार्य करना चाहिए.

उपराष्ट्रपति ने आनंदीबेन पटेल की आत्मकथा को प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि ये पुस्तक केवल आनंदीबेन पटेल के लिए नहीं है, ये सभी के लिए प्रेरणास्रोत है. इन्हें चुनौतियां पसंद हैं, क्योंकि ये अन्याय को बर्दाश्त नहीं करतीं. आज गुजरात स्थापना दिवस और श्रमिक दिवस है. स्थान के रूप में अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी का चयन टेक्नोलॉजी के युग में भारत की प्रगति को दर्शाता है.

उन्होंने कहा कि गवर्नर ने हमेशा हिम्मत दिखाई है. ऐसी पुस्तक ईमानदारी से लिखना बहुत मुश्किल है. सबसे बड़ी चुनौती है यह लिखना कि ‘चुनौती मुझे पसंद है’. उन्होंने स्वामी चिदानंद सरस्वती को भारत का सांस्कृतिक राजदूत बताया और राज्यपाल की बेटी अनारबेन पटेल का जिक्र करते हुए जंजीर फिल्म का डायलॉग ‘मेरे पास मां है’ की चर्चा की. उन्होंने कहा कि अनारबेन के पास ऐसी मां है, जिसकी ताकत कम नहीं है.

धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि देश का सौभाग्य है कि हमें तीसरी बार एक सशक्त प्रधानमंत्री मिला है. उन्होंने चुनौतियों को अवसर में बदला है. हर घर में बिजली, शौचालय, नल, इंटरनेट और स्वास्थ्य सुविधाएं इसका नतीजा हैं.

उन्होंने कहा कि संकट में हमें वेद, गीता, रामायण और महाभारत की ओर देखना चाहिए, जो हमें बताता है कि हमें कभी भी कर्तव्यपथ से नहीं हटना चाहिए. उन्होंने उत्तर प्रदेश की प्रगति पर कहा कि इस प्रांत ने देश को पहला वॉटर-वे दिया है. पहली रैपिड रेल यूपी में है. यहां संभावनाओं के बुलबुले उठ रहे हैं. उन्होंने आपातकाल को इतिहास का काला अध्याय बताते हुए कहा कि लोग कहते हैं कि जनता की मेमोरी शॉर्ट होती है, लेकिन, क्या हम इमरजेंसी को भूल गए हैं? उपराष्ट्रपति ने सभी को संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने और लोकतंत्र की मजबूती के लिए सहयोग करने का आह्वान किया.

एसके/एबीएम