गया, 1 मई . केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने आगामी जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय का तकाजा जातीय जनगणना थी. उन्होंने कहा कि यह जातीय जनगणना आजादी के बाद भी कराई जा सकती थी, लेकिन किसी सरकार ने ऐसा नहीं किया.
गया में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने के लिए विभिन्न पार्टियों द्वारा आज नहीं, बहुत पहले से मांग की जाती रही है. एक साल पहले भी बिहार में सर्वदलीय बैठक कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसको लेकर मुलाकात की गई थी, तब कहा गया था कि इस पर विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि राज्य चाहे तो जातीय जनगणना करा सकता है. उसके बाद बिहार में जातीय जनगणना हुई.
उन्होंने कहा कि बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया गया. जातीय जनगणना के बाद जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी भागीदारी होगी. सभी क्षेत्रों में, चाहे वह खेलकूद हो, शिक्षा हो, राजनीति हो, सभी मुद्दों पर उन्हें लाभ मिलेगा. उन्होंने इस निर्णय को सराहनीय बताते हुए कहा कि यह सामाजिक न्याय का तकाजा था.
विपक्ष को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि सभी लोग केवल चिल्ला रहे थे. आज प्रधानमंत्री मोदी ने निर्णय लिया है. इससे हम सभी सामाजिक न्याय की ओर बढ़ेंगे. विपक्ष द्वारा इसका क्रेडिट लिए जाने पर उन्होंने कहा कि 2014 के पहले भी देश में सरकार थी, लेकिन वह क्यों नहीं करा पाए. अब कह रहे हैं कि 30 साल से मांग थी. तो क्या उनकी सरकार नहीं थी? वे लोग केवल चिल्लाते हैं, सभी काम प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं. विपक्ष केवल राजनीति करता है. केवल वे काम का श्रेय लेने का झूठा प्रयास करते हैं.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जातीय जनगणना पर विपक्ष के क्रेडिट लेने पर कहा कि धन्य हैं पीएम नरेंद्र मोदी, जिन्होंने लालू यादव और कांग्रेस के वर्षों के पाप को धोने का काम किया. उन्होंने कहा कि यह वही लालू यादव हैं, जिन्होंने मंडल कमीशन को लागू नहीं होने दिया था. कांग्रेस के पल्लू में बंधे रहे. प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने ओबीसी को सरकारी कानून के तहत मजबूत किया तथा सवर्ण गरीब को भी आरक्षण दिया. पीएम मोदी जो कहते हैं, सो करते हैं.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सामाजिक आरक्षण का, सामाजिक समरसता का जीवनभर विरोध किया. ये लोग सामाजिक समरसता के विरोधी हैं. उन्होंने इसे लेकर बहस की चुनौती भी दे दी.
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एमएनपी/एबीएम