बेंगलुरु, 29 अप्रैल . भाजपा प्रवक्ता एस प्रकाश ने मंगलवार को समाचार एजेंसी से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कांग्रेस के सोशल मीडिया पोस्ट और पहलगाम हमले पर कांग्रेस की ओर से संसद के विशेष सत्र बुलाने की मांग पर टिप्पणी की.
प्रधानमंत्री मोदी पर कांग्रेस के सोशल मीडिया पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए एस प्रकाश ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक राष्ट्रीय पार्टी, जो स्वयं को महात्मा गांधी की विरासत का दावा करती है, वह प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसात्मक तरीके से भड़काने का कार्य कर रही है. जो लोग मोहब्बत की दुकान की बातें करते हैं, उनकी बातें अब सिर्फ भाषणों तक सीमित रह गई हैं. कांग्रेस के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह के पोस्ट आम होते जा रहे हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है. इस तरह के पोस्ट करने वाले व्यक्ति के खिलाफ दिल्ली सरकार या फिर कोई अन्य भाजपा सरकार सख्त कार्रवाई करेगी.
बेलगावी में भाजपा महिला कार्यकर्ताओं द्वारा सीएम सिद्धारमैया को काले झंडे दिखाने के बाद सीएम के व्यवहार को लेकर भी भाजपा प्रवक्ता ने टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि पुलवामा घटना पर दिए गए मुख्यमंत्री के बयान के विरोध में 5-6 भाजपा महिला कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए. अगर इतना छोटा सा विरोध प्रदर्शन भी मुख्यमंत्री को विचलित कर रहा है, तो यह उनकी हताशा को दर्शाता है कि वह सत्ता खोने के करीब हैं.
वहीं, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बयान को लेकर उन्होंने कहा कि वह न तो कानून का सम्मान करते हैं, न ही संविधान का. उनका व्यवहार हमेशा धमकी भरा होता है. लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि हम लोग आपातकाल का सामना कर चुके हैं, जेल गए हैं और समाज के हित में संघर्ष करके आगे आए हैं. हमें उनकी धमकियों से कोई फर्क नहीं पड़ता.
पहलगाम हमले पर कांग्रेस की ओर से संसद के विशेष सत्र बुलाने की मांग पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि कांग्रेस पार्टी ने उस सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया था जिसे केंद्र सरकार ने बुलाया था, और वहां उन्होंने भारत सरकार की कार्रवाई का पूर्ण समर्थन भी दिया था. इसके बावजूद इस तरह के आरोप कांग्रेस के दोहरे मापदंडों को दर्शाते हैं. जहां तक विशेष सत्र का सवाल है, आतंकवादी घटनाओं पर संसद सत्र बुलाने की परंपरा कभी नहीं रही है.”
उन्होंने आगे कहा कि बजट सत्र में राहुल गांधी अनुपस्थित रहे. वक्फ अमेंडमेंट बिल और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के समय भी उन्होंने कोई गंभीर भागीदारी नहीं निभाई. ऐसे में जब वह वर्तमान स्थिति से भी तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं, तो सरकार को सुझाव देने की उनकी पात्रता पर सवाल उठना लाजमी है.
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