नई दिल्ली, 29 अप्रैल . सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने मंगलवार को ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्मों से आने वाले स्पैम और स्कैम कॉल के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम का स्वागत किया.
ज्वाइंट कमेटी ऑफ रेगुलेटर्स (जेसीओआर) की हाल ही में हुई बैठक के दौरान सरकार की ओर से बताया गया था कि इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय इस विषय के संदर्भ में फैसले लेगा.
इंडस्ट्री इसे एक बहुत जरूरी कदम के रूप में देख रही है, खासकर ऐसे समय में तब जब स्पैम और स्कैम की गतिविधियां तेजी से व्हाट्सएप, सिग्नल और अन्य जैसे ओटीटी कम्यूनिकेशन ऐप पर स्थानांतरित हो रही हैं.
इसके अतिरिक्त, दूरसंचार विभाग (डीओटी), दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के साथ मिलकर पारंपरिक दूरसंचार नेटवर्क पर अनचाहे कमर्शियल कम्यूनिकेशन (यूसीसी) के संबंध में नियमों को कड़ा कर रहा है, वहीं ओटीटी प्लेटफार्मों पर ऐसा नियंत्रण नहीं है.
सीओएआई के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की भागीदारी सोच में बदलाव को दर्शाती है, जहां डिजिटल प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने की जिम्मेदारी अब संबंधित मंत्रालयों के पास होगी, न कि इस बोझ को अनुचित रूप से दूरसंचार ऑपरेटरों पर डाला जाएगा.
सीओएआई ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि टीएसपी के पास ओटीटी ऐप पर पर सीमित नियंत्रण है, भले ही यूजर्स एक ही हों.
सीओएआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एस.पी. कोचर ने एक सरल उदाहरण का उपयोग करके चुनौती को समझाते हुए कहा कि एक दूरसंचार ऑपरेटर किसी विशेष शहर में एक फोन नंबर का पता लगा सकता है और यदि आवश्यक हो तो कानूनी सहायता प्रदान कर सकता है.
कोचर ने आहे कहा, “लेकिन जब किसी अन्य डिवाइस पर ओटीटी ऐप का उपयोग किया जाता है, तो उसे ट्रैक करना कठिन हो जाता है, क्योंकि इंस्टॉलेशन के बाद ऐप और सिम कार्ड लिंक नहीं होते हैं.”
सीओएआई के अनुसार, एक और बढ़ता खतरा स्टेग्नोग्राफी है, जिसमें हानिकारक सामग्री जैसे इमेज या दस्तावेज नियमित फाइलों के अंदर छिपे होते हैं.
इससे साइबर अपराधियों के लिए बिना पकड़े गए धोखाधड़ी और हमले करना आसान हो जाता है.
सीओएआई ने कहा कि दूरसंचार और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है.
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एबीएस/