झारखंड में ध्वनि प्रदूषण पर राज्य सरकार के अधूरे जवाब से हाईकोर्ट नाराज

रांची, 29 अप्रैल . झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से की जाने वाली कार्रवाई के बारे में स्पष्ट जवाब न दिए जाने पर गहरी नाराजगी जताई है.

इससे संबंधित जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मौखिक तौर पर कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार ने ध्वनि प्रदूषण रोकने की दिशा में धरातल पर ठोस कार्रवाई नहीं की.

अदालत ने सरकार की ओर से की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 6 मई तक अंतिम मौका दिया है. इसी दिन याचिका पर अगली सुनवाई भी निर्धारित की गई है.

इसके पहले इस याचिका पर 8 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि पर्व-त्योहार के मौके पर राज्य के सभी जिलों में ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? इस संबंध में सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया गया था.

मंगलवार को सुनवाई के पूर्व सरकार ने जो शपथ पत्र दाखिल किया, उसमें केवल रांची जिले में प्रशासन की ओर से उठाए गए कदम की जानकारी दी गई. इस पर बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया? रांची को छोड़कर राज्य के बाकी जिलों में क्या कदम उठाए गए हैं?

झारखंड सिविल सोसाइटी एवं अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि ‘ध्वनि प्रदूषण अधिनियम वर्ष 2000’ के तहत निर्धारित मानकों का झारखंड में उल्लंघन किया जा रहा है. रेजिडेंशियल, कमर्शियल एवं इंडस्ट्रियल एरिया में ध्वनि के मानक निर्धारित किए गए हैं, लेकिन इन जगहों पर निर्धारित मानकों से अधिक शोर है.

ध्वनि प्रदूषण की शिकायतों पर सरकार की ओर से रोक की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शुभम कटारुका ने अदालत में दलीलें पेश की.

एसएनसी/एबीएम