करनाल, 28 अप्रैल . भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले पर सरकार के साथ होने की बात कहते हुए इस बात की भी जांच की मांग की कि इस घटना से किसका फायदा और किसका नुकसान हो रहा है. उन्होंने सुरक्षा में चूक की जांच की भी मांग की.
राकेश टिकैत ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि बिना भीतर वाले के कुछ नहीं हो सकता है. किसी भीतरी ने ही रास्ता बताया होगा. घटनास्थल की रेकी भी की गई होगी. पता चला है कि धर्म पूछकर लोगों को गोली मारी गई है. उससे फायदा और नुकसान किसे हुआ, इसकी भी सरकार को जांच करनी चाहिए.
राजनीतिक फायदे के लिए आतंकवादी हमला कराने के सवाल पर किसान नेता ने कहा कि इस हमले के सभी पहलुओं की जांच होनी चाहिए. सरकार के साथ होने की बात दोहराते हुए उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.
पाकिस्तान का पानी रोकने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार अपने हिसाब से काम करे. जो उचित कदम उठाने चाहिए, जरूर उठाए.
पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) को वापस लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक कोशिश तो करनी चाहिए. पीओके भारत में आ जाएगा तो ठीक रहेगा. वहां के लोग भी चाहते हैं कि यह भारत में मिल जाना चाहिए. हमारी सेना के पास ताकत भी है. प्रयास किया जाना चाहिए.
नेहा सिंह राठौड़ पर एफआईआर हुई है. उन्होंने आरोप लगाया था कि बिहार चुनावों में पहलगाम का फायदा लेने की कोशिश की जा रही है. इस सवाल के जवाब में किसान नेता ने कहा कि जो सच बोलेगा, उसको सजा होगी.
पहलगाम के बहाने कश्मीरियों को निशाना बनाने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि कश्मीर बर्बाद हो गया है. आतंकवादी हमले के खिलाफ कश्मीर के लोग जिस तरह से सड़कों पर उतरे हैं, उससे लगता है कि वे इस हमले से बहुत दुखी हैं. हम भी कश्मीर गए हैं. जो गलत विचारधारा के लोग हैं, उन्होंने कहा है कि यहां तो डर में लोग पत्थर फेंकते थे. लोगों का कहना है कि यहां सेना है, सरकार का सपोर्ट है और हम यहां सुकून से हैं. हम अपना कारोबार करना चाहते हैं. पांच प्रतिशत गलत विचारधारा के लोग हैं, उन्हें पकड़ लो, उसमें कोई निर्दोष भी जाएगा.
उल्लेखनीय है कि सोमवार को किसान नेता राकेश टिकैत ने नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के परिवार से मुलाकात की. वह पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. किसान नेता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि परिवार बहुत सदमे में है. जब बाहर से लोग आते भी हैं, तो बोलने की स्थिति में नहीं होते. यह पूरे देश के लिए दुखद स्थिति है.
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एफजेड/एकेजे