‘क्या तुम्हारे हाथ नहीं कांपते…’ पहलगाम हमले से आहत शोभना नारायण ने सुनाई ‘प्रश्न आतंकवादियों से’ कविता

मुंबई, 27 अप्रैल . पहलगाम में हुए आतंकी हमले से भारतीय कथक नृत्यांगना, लेखिका, पद्मश्री शोभना नारायण विचलित हो गई हैं. उन्होंने अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से दर्द को बयां किया. इसके साथ ही उन्होंने आतंकियों से चुभने वाले चंद सवाल भी किए.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक वीडियो शेयर कर शोभना नारायण ने अपने दर्द को व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले से वह विचलित हो गई हैं.

सामने आए वीडियो में शोभना नारायण अपनी कविता सुनाने से पहले कहती हैं, “हाल की घटनाएं विचलित करने वाली हैं और यह सवाल उठाती हैं कि मानवता, संवेदनशीलता, भाईचारे को क्या हो गया है? इसलिए मैंने अपने विचार लिखे और आतंकवादियों से सवाल पूछा है.”

कविता इस प्रकार है, “प्रश्न आतंकवादियों से, क्या कहना चाहते हो? क्या कहना चाहते हो लाशों के ढेर बिछा कर? क्या खुदाई मिलेगी अहंकार और खून के बल पर? किस बाजार में इंसानियत को बेच आए हो?”

प्रख्यात नृत्यांगना ने आगे सुनाया, “दादा-दादी, माता-पिता और बेटी-बेटा को मारते हुए क्या तुम्हारे हाथ कांपे नहीं? कभी सोचा कि उन लाशों में खून से लथपथ कहीं सो रहे होंगे तुम्हारे ही मजहब के लोग, पर जब अपने पर बीतता है तब क्यों फिरते हो रक्त आधार के लिए? तब क्या तुम पूछते हो कि रक्त का धर्म क्या है? प्रतिशोध की भावना जमीन और मजहब बन जाते हैं. युद्ध का सबब इतिहास दोहरा रहा है, पर अनसुना करना ही मानव की आदत सी बन गई है.”

पद्मश्री, संगीत नाटक अकादमी समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित प्रसिद्ध शोभना नारायण नृत्यांगना ही नहीं, बल्कि सधी हुई लेखिका और नौकरशाह भी हैं. वह समय-समय पर अपनी लेखनी और प्रस्तुतियों के माध्यम से तत्कालीन परिस्थितियों पर विचार रखती रहती हैं.

शोभना नारायण ‘भरतनाट्यम’, ‘कथक लोक’, ‘भारत में प्रदर्शन कलाएं’, ‘कथक’, ‘पाटलिपुत्र की नृत्य विरासत’ जैसी पुस्तकें लिख चुकी हैं. वह भारत के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई शानदार प्रदर्शन कर चुकी हैं.

उन्होंने शास्त्रीय कथक नृत्य के लखनऊ कालिका-बिन्दादिन घराने के नर्तक बिरजू महाराज से प्रशिक्षण लिया था.

एमटी/केआर