सामाजिक न्याय विभाग ने भिखारियों और बेघरों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर किया मंथन

नई दिल्ली, 26 अप्रैल . सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने देश में भिखारियों, बेघर लोगों और निराश्रितों के पुनर्वास के लिए रणनीतियों को समझने, विचार करने और जानकारी साझा करने के लिए एक सेमिनार आयोजित किया है. यह कार्यक्रम वर्ल्ड बैंक के सहयोग से राजधानी दिल्ली में आयोजित हुआ. इसका विषय था – ‘दुर्गम आबादी तक पहुंच – एसएमआईएलई (भिक्षावृत्ति)’.

इस कार्यक्रम में देश और विदेश के विशेषज्ञों ने भाग लिया. इसका उद्देश्य था कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने पर बातचीत और कार्यवाही को बढ़ावा दिया जाए.

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव राजेश अग्रवाल ने समावेशी विकास और दिव्यांगों तक पहुंचने के बारे में अपनी बात रखते हुए कहा, ‘हमें उन लोगों से सीधे बात करनी होगी जिन्होंने भीख मांगना छोड़ दिया है, ताकि हम इसकी असली वजहों और सहायता प्रणालियों के असर को समझ सकें.”

राजेश अग्रवाल ने यह भी बताया कि भिक्षावृत्ति की समस्या सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक कारणों से जुड़ी हुई है और इसका समाधान आसान नहीं है.

वर्ल्ड बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री बेनेडिक्ट लेरॉय डे ला ब्रिएरे ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास पते का प्रमाण, बैंक खाता और स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी सुविधाएं हों, तो उन्हें पहचानना और मदद पहुंचाना आसान हो जाता है. उन्होंने भिक्षावृत्ति उन्मूलन पर वैश्विक दृष्टिकोण से भी चर्चा की.

उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह के आयोजनों से जमीनी स्तर की सच्ची जानकारियां मिलती हैं, जो प्रभावी योजनाएं बनाने में मदद करती हैं. उनका कहना था कि चर्चा का केंद्र व्यावहारिक समाधान और लक्षित मदद होनी चाहिए.

कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के नोडल अधिकारी और जमीनी स्तर पर काम करने वाले संगठनों ने भी हिस्सा लिया. उन्होंने अपने अनुभव, चुनौतियां और सफलता की कहानियां साझा कीं.

आर्थिक सलाहकार अजय श्रीवास्तव ने बताया, “एसएमआईएलई पहल के तहत लगभग 18,000 लोगों की पहचान की गई है, जिनमें से 1,612 लोगों का पुनर्वास पहले ही हो चुका है.” उन्होंने भरोसा दिलाया कि बाकी बचे लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है.

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