मुजफ्फरपुर, 23 अप्रैल . प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से मुजफ्फरपुर के कारीगर और शिल्पकार काफी उत्साहित हैं. कालीबाड़ी तीन पोखरिया मोहल्ले के रहने वाले शशि भूषण पंडित, जो वर्षों से मूर्ति निर्माण का कार्य करते आ रहे हैं, वह इस योजना से लाभान्वित हुए हैं. शशि भूषण बताते हैं कि यह योजना शिल्पकारों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी.
शशि भूषण पंडित का मानना है कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना उन सभी लोगों के लिए एक वरदान है जो मूर्तिकार, दर्जी, पत्थर तराशने जैसे पारंपरिक कार्यों से जुड़े हुए हैं. इस योजना के तहत शिल्पकारों को रजिस्ट्रेशन के बाद विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें आर्थिक सहायता भी दी जाएगी. इतना ही नहीं, प्रशिक्षण पूरा करने पर मुफ्त में जरूरी औजार भी उपलब्ध कराए जाएंगे.
योजना की एक और बड़ी खासियत यह है कि कारीगरों को अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए 2% की कम ब्याज दर पर ऋण भी उपलब्ध कराया जाएगा. इससे न सिर्फ उनके व्यवसाय को मजबूती मिलेगी बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार आएगा. शशि भूषण पंडित कहते हैं कि मैंने जीवन भर मूर्तियां बनाईं, लेकिन आज पहली बार कोई प्रधानमंत्री हमारे जैसे कारीगरों के बारे में सोच रहे हैं. यह योजना हमारे लिए वरदान साबित होगी और इससे हम आत्मनिर्भर बन सकेंगे.
मूर्तिकार शशि भूषण पंडित ने समाचार एजेंसी को बताया कि मैं मूर्तियां बनाता हूं और उन्हें बाजार में बेचता हूं. मैं सभी शिल्पकारों से अपील करता हूं कि वे प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से जुड़ें. यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य आम गरीबों तक लाभ पहुंचाना है. मैं चाहता हूं कि सुनार, धोबी, बढ़ई, चर्मकार, और रविदास जैसे सभी शिल्पकार इस योजना का लाभ लें. सरकार की ओर से कई योजनाएं हैं, जिनमें मुफ्त मशीनरी, 15 दिन का प्रशिक्षण केंद्र, और गुणवत्तापूर्ण काम सीखने का अवसर उपलब्ध है. इससे शिल्पकार अपने रोजगार को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं.
उन्होंने बताया कि यह योजना गरीब शिल्पकारों को आर्थिक सहायता और अनुदान प्रदान करती है. प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि हर गरीब तक इस योजना का लाभ पहुंचे. कई शिल्पकार आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी के कारण अपनी प्रतिभा को आगे नहीं बढ़ा पाते. विश्वकर्मा योजना के माध्यम से उन्हें आर्थिक सहयोग मिलेगा, जिससे वे अपने काम को बढ़ा सकते हैं. मैं सभी शिल्पकारों से कहना चाहता हूं कि इस योजना में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और अपने परिवार को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएं. विश्वकर्मा योजना से शिल्पकारों को कई लाभ मिल रहे हैं. जब उनका माल उच्च गुणवत्ता का होगा, तो वह न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी पहुंचेगा.
सरकार शिल्पकारों के लिए मेलों का आयोजन करती है, जैसे पटना में सरस मेला, जहां वे अपनी कारीगरी को प्रदर्शित और बेच सकते हैं. इससे उनकी कला को दूर-दूर तक पहचान मिलती है. इन मेलों और बाजारों से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है.
उन्होंने आगे कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी से गुजारिश करता हूं कि वह इस योजना को और जमीन पर उतारने के लिए कदम उठाएं. हर गरीब शिल्पकार के उत्थान के लिए आर्थिक मदद और सशक्तिकरण की दिशा में और प्रयास किए जाएं. इससे न केवल शिल्पकारों का परिवार मजबूत होगा, बल्कि समाज और देश भी प्रगति करेगा. देश का नाम विश्व स्तर पर और ऊंचा होगा. मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि शिल्पकारों को निरंतर आर्थिक सहायता प्रदान की जाए, ताकि उनके परिवार का उत्थान हो सके. विश्वकर्मा योजना के जरिए हम एक आत्मनिर्भर और मजबूत भारत की ओर बढ़ रहे हैं.
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पीएसके/केआर