चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के आरोप को ईसी के पूर्व अधिकारी ने बताया बचकाना

गाजियाबाद, 21 अप्रैल . कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी में दिए बयान ने भारत में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. राहुल ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने कहा कि आयोग ने “समझौता” किया और “सिस्टम में बड़ी गड़बड़ी” है. राहुल के इस बयान को इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर डॉ. मोहम्मद अमीन ने बचकाना और नासमझी भरा करार दिया.

डॉ. अमीन ने से बातचीत में कहा कि राहुल समय-समय पर चुनाव आयोग पर शंका जताते रहते हैं, जो उनकी हताशा को दर्शाता है. उन्होंने कहा, “राहुल भूल गए कि उनके पिता, दादी, मां और बहन ने भी चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लिया. खुद राहुल दो जगह से जीतकर आए हैं. फिर भी आयोग पर आरोप लगाना उनकी नासमझी और बचपना है.”

अमीन ने कहा कि राहुल अब विपक्ष के नेता हैं, उन्हें परिपक्वता दिखानी चाहिए. वे सिस्टम को अच्छी तरह जानते हैं, फिर भी इस तरह के बयान देना उनकी हताशा को दर्शाता है.

डॉ. अमीन ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर उठाए गए सवालों का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि ईवीएम पर सवाल उठाना विपक्ष का पुराना तरीका है. जब वे जीतते हैं, तो कोई सवाल नहीं उठता, लेकिन हारने पर आयोग, मशीनों और कर्मचारियों पर आरोप लगाए जाते हैं. अमीन ने बताया कि ईवीएम की शुरुआत 2004 में कांग्रेस सरकार के दौरान हुई थी. उस समय बीजेपी ने भी ईवीएम पर सवाल उठाए थे और एक किताब लिखी थी, जिसका विमोचन लालकृष्ण आडवाणी ने किया था.

उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में ईवीएम बैटरी से चलती है, जैसे कैलकुलेटर, और इसमें गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं है. ईवीएम और वीवीपैट को लागू करने से पहले सभी राजनीतिक दलों को बुलाकर मशीनों की कार्यप्रणाली समझाई गई और उनकी संतुष्टि के बाद ही इन्हें लागू किया गया. अमीन ने यह भी बताया कि अमेरिका के चुनावों में ईवीएम का उपयोग नहीं होता, क्योंकि वहां नेटवर्क-आधारित मशीनें इस्तेमाल की जाती हैं.

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