मुंबई, 18 अप्रैल . आईटी प्रमुख इंफोसिस ने हाल ही में घोषणा की है कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 में 6,388 कर्मचारियों को जोड़ा है, जिससे कंपनी के कुल कर्मचारियों की संख्या अब 3,23,578 हो गई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 3,17,240 थी.
हालांकि, कंपनी की ओर से स्वीकारा गया कि चौथी तिमाही में कर्मचारियों की संख्या में मामूली वृद्धि दर्ज की गई. इस अवधि के दौरान कंपनी ने 199 कर्मचारियों को जोड़ा.
यह इंफोसिस के लिए कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि की लगातार तीसरी तिमाही रही. कंपनी ने इससे पहले तीसरी तिमाही में 5,591 और दूसरी तिमाही में 2,456 कर्मचारियों को जोड़ा.
धीमी हायरिंग के बावजूद भी कंपनी का कहना है कि वह वित्त वर्ष 2026 में 15,000-20,000 फ्रेश स्नातकों की भर्ती करेगी.
इस वर्ष की शुरुआत में इंफोसिस ने अपने मैसूर कैंपस में लगभग 400 ट्रेनी को नौकरी से निकाल दिया था, क्योंकि वे इंटरनल इवैल्यूएशन टेस्ट में तीन बार असफल रहे थे.
ये ट्रेनी अक्टूबर 2024 में शामिल लगभग 800 बैच का हिस्सा थे.
ट्रेनी की छंटनी पर टिप्पणी करते हुए, इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख ने कहा कि कंपनी एक सख्त मूल्यांकन प्रणाली का पालन करती है, जो दो दशकों से अपरिवर्तित बनी हुई है.
पारेख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “हमारे पास परीक्षण करने का एक कठोर तरीका है, जो 20 से अधिक वर्षों से एक जैसा है.”
मार्च तिमाही के दौरान कर्मचारियों की छंटनी में मामूली वृद्धि देखी गई. दिसंबर तिमाही में छंटनी की दर 13.7 प्रतिशत से बढ़कर 14.1 प्रतिशत हो गई.
आईटी प्रमुख ने वित्त वर्ष 2025 के लिए अपने सीईओ पारेख को लगभग 50 करोड़ रुपये मूल्य का एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन प्लान (ईएसओपी) भी प्रदान किया.
स्टॉक अनुदान में वार्षिक प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन शामिल है, जो इक्विटी-लिंक्ड और ईएसजी-लिंक्ड प्रदर्शन अनुदान जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत रिस्ट्रिक्टेड स्टॉक यूनिट्स (आरएसयू) के रूप में दिया जाता है.
इसी बीच, कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के लिए अपने कंसोलिडेटेड शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 11.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की.
कंपनी ने मार्च 2025 तिमाही के लिए 7,033 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया, जो पिछले साल की समान अवधि में 7,969 करोड़ रुपये से कम है.
लाभ में गिरावट के बावजूद, इंफोसिस ने अपने राजस्व में लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले वर्ष की मार्च तिमाही में 37,923 करोड़ रुपये से बढ़कर 40,925 करोड़ रुपये हो गई.
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एसकेटी/एबीएम