नई दिल्ली, 11 अप्रैल . नौसेना कमांडर्स ने शुक्रवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, थल सेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुख के साथ विचार-विमर्श किया. इन वरिष्ठ अधिकारियों ने मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य का विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए त्रि-सेवा समन्वय और तत्परता पर बल दिया. विदेश सचिव विक्रम मिस्री और भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने भी कमांडर्स से संवाद किया.
यह संवाद नौसेना कमांडर्स कांफ्रेंस के दौरान किया गया. नौसेना कमांडरों के वर्ष 2025 के पहले कमांडर्स कांफ्रेंस का समापन शुक्रवार को नई दिल्ली में हुआ. गत 5 अप्रैल को इसका पहला चरण करवार में शुरू हुआ था जबकि दूसरा चरण 7 अप्रैल से नई दिल्ली में आयोजित किया गया.
इस उच्च स्तरीय सम्मेलन में समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियों और भारतीय नौसेना की संचालनात्मक तैयारी की समीक्षा पर गहन विचार-विमर्श हुआ. विदेश सचिव ने वैश्विक परिदृश्य में हो रहे परिवर्तनों और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा पर इसके प्रभावों को रेखांकित किया.
अमिताभ कांत ने भारत के क्षेत्रीय ‘पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ के रूप में उभरने में नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया.
नौसेना कमांडरों के द्विवार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने करवार में की थी. इस सत्र में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, रक्षा सचिव, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और नौसेना के अधिकारी शामिल रहे.
दूसरा चरण 7 अप्रैल को नई दिल्ली स्थित नौसेना भवन में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी की अध्यक्षता में शुरू हुआ. इसमें नौसेना के संचालन, लॉजिस्टिक्स, मानव संसाधन, प्रशिक्षण और प्रशासन से जुड़े सभी पहलुओं की विस्तृत समीक्षा की गई.
इस अवसर पर भारतीय नौसेना की स्पेस विजन, इंडियन नेवल एयर पब्लिकेशन, ऑपरेशनल डाटा फ्रेमवर्क, और पूर्व सैनिकों के लिए ‘नेवी फॉर लाइफ एंड बियोंड’ संकलन जैसे कई महत्वपूर्ण प्रकाशन भी जारी किए गए. सम्मेलन के दौरान 7 अप्रैल को आयोजित विशेष सत्र ‘सागर मंथन’ में नौसेना कमांडरों ने रणनीतिक विशेषज्ञों और विषय विशेषज्ञों से भी संवाद किया. यह कार्यक्रम भारत की रणनीतिक समुद्री दृष्टि ‘महासागर’ पर केंद्रित था. इसमें भारतीय नौसेना की राष्ट्रीय समुद्री विकास में भूमिका को रेखांकित किया गया.
कुल मिलाकर, नौसेना कमांडरों के सम्मेलन 2025 के इस पहले संस्करण में हुई चर्चा ने भारतीय नौसेना की सुरक्षित, संरचित और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया. युद्ध के लिए तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य के लिए तैयार नौसेनिक बल के रूप में निरंतर आगे बढ़ने के संकल्प के साथ इसे संपन्न किया गया.
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जीसीबी/एकेजे