अमेरिका के सख्त रुख के बीच ‘भारत’ तत्काल व्यापार वार्ता के लिए तैयार : विदेश मंत्री एस. जयशंकर

नई दिल्ली, 11 अप्रैल . विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के लिए अधिक तत्परता से तैयार है.

कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में अपने मुख्य भाषण में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत के व्यापार सौदे बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे, क्योंकि अमेरिका बहुत महत्वाकांक्षी है और वैश्विक परिदृश्य एक साल पहले की तुलना में बहुत अलग है.

उन्होंने कहा, “इस बार, हम निश्चित रूप से तत्काल व्यापार वार्ता के लिए तैयार हैं. हमें एक अवसर दिखाई दे रहा है. हमारे व्यापार सौदे वास्तव में चुनौतीपूर्ण हैं और जब व्यापार सौदों की बात आती है, तो हमें एक-दूसरे के साथ बहुत कुछ करना होता है. मेरा मतलब है कि ये लोग अपने खेल में बहुत आगे हैं, जो हासिल करना चाहते हैं, उसके बारे में बहुत महत्वाकांक्षी हैं.”

उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह अमेरिका का भारत के प्रति दृष्टिकोण है, उसी तरह भारत का भी उनके प्रति दृष्टिकोण है. हमने पहले ट्रंप प्रशासन में चार साल तक बातचीत की. उनका हमारे प्रति अपना दृष्टिकोण है और स्पष्ट रूप से हमारा उनके प्रति अपना दृष्टिकोण है.

उन्होंने आगे कहा, “अमेरिका ने दुनिया के साथ जुड़ने के अपने दृष्टिकोण को मौलिक रूप से बदल दिया है और इसका परिणाम हर क्षेत्र में है, लेकिन मेरा मानना ​​है कि तकनीकी परिणाम विशेष रूप से गहरे होंगे.”

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “यह न केवल इसलिए गहरा होगा क्योंकि अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वैश्विक तकनीकी प्रगति का मुख्य चालक है, बल्कि इसलिए भी कि यह बहुत स्पष्ट है कि अमेरिका को फिर से महान बनाने में तकनीक की बड़ी भूमिका है. इसलिए एमएजीए और तकनीक के बीच एक संबंध है, जो शायद 2016 और 2020 के बीच इतना स्पष्ट नहीं था.”

उन्होंने पिछले एक साल में चीन के बढ़ते भू-राजनीतिक प्रभाव के साथ हो रहे वैश्विक शक्ति परिवर्तन पर भी प्रकाश डाला.

केंद्रीय मंत्री जयशंकर ने कहा कि अमेरिका-चीन व्यापार की गतिशीलता व्यापार के साथ-साथ टेक्नोलॉजी से भी प्रभावित होती है और चीन के निर्णय अमेरिका की तरह ही महत्वपूर्ण हैं.

वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलावों पर प्रकाश डालते हुए, विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि यूरोप भी खुद को तनावपूर्ण स्थिति में पाता है.

उन्होंने कहा, “पांच साल पहले, मुझे लगता है कि यूरोप में शायद सबसे अच्छी भू-राजनीतिक स्थिति थी. इसने संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बीच आदर्श त्रिकोण का निर्माण किया था. आज, उसका हर पक्ष तनाव में है.”

जयशंकर ने बताया कि जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान ने भी तकनीकी प्रगति के माध्यम से भू-राजनीतिक प्रभाव बनाने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा कि भारत भी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में प्रगति कर रहा है और कई दशकों के बाद सेमीकंडक्टर को प्राथमिकता दे रहा है. उन्होंने ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में विशेषज्ञों से इस मुद्दे पर चर्चा करने और देश के तकनीकी पक्ष को सकारात्मक रूप से देखने का आग्रह किया.

एसकेटी/एबीएम