व्यापार निकाय ने अमेरिका के टैरिफ रोके जाने के बाद अंतरिम टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रोटेक्शन स्कीम की मांग की

नई दिल्ली, 10 अप्रैल . भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ में 90 दिन की राहत उन भारतीय कपड़ा और परिधान निर्यातकों के लिए सकारात्मक है, जो उच्च टैरिफ बाधाओं का सामना कर रहे थे. सीआईटीआई ने सरकार से अंतरिम टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रोटेक्शन स्कीम शुरू करने का आग्रह किया.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को छोड़कर सभी के लिए रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिन की ‘रोक’ की घोषणा की है.

इस अवधि के दौरान, मौजूदा शुल्क, फीस, कर, वसूली या लागू शुल्क के अलावा 10 प्रतिशत का काफी कम रेसिप्रोकल टैरिफ लागू रहेगा.

सीआईटीआई के चेयरमैन राकेश मेहरा ने कहा, “अस्थायी राहत से भारतीय कपड़ा और परिधान निर्यातकों को अल्पकालिक राहत मिलेगी, जो उच्च टैरिफ बाधाओं का सामना कर रहे थे. हालांकि, यह केवल एक अस्थायी उपाय है. यह महत्वपूर्ण है कि भारत सरकार अधिक सस्टेनेबल और पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान पर पहुंचने के लिए अमेरिकी समकक्षों के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाए.”

अमेरिकी बाजार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका भारतीय कपड़ा और परिधान निर्यात के लिए सबसे बड़ा गंतव्य है.

मेहरा ने कहा, “सरकार बेहतर टैरिफ पहुंच के लिए द्विपक्षीय वार्ता को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रही है, उद्योग सरकार से अंतरिम टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रोटेक्शन स्कीम शुरू करने पर विचार करने का आग्रह करता है.”

उन्होंने कहा कि इस तरह के उपाय से अतिरिक्त टैरिफ लागतों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी, खासकर कपड़ा और परिधान निर्यातकों के बहुत कम मार्जिन को देखते हुए.

उन्होंने आगे बताया कि अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार तनाव देश के लिए एक रणनीतिक अवसर प्रस्तुत करते हैं.

उन्होंने जोर दिया, “अमेरिका, चीन से अलग अपने सोर्सिंग में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है, ऐसे में भारत एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में उभरने की क्षमता रखता है.

हालांकि, इसके लिए सक्रिय कूटनीति और अधिक अनुकूल और स्थिर टैरिफ व्यवस्था हासिल करने के लिए ठोस प्रयास की आवश्यकता होगी.

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2024 में अमेरिका को 10.5 बिलियन डॉलर मूल्य के कपड़ा और परिधान उत्पादों का निर्यात किया, जो भारत के कुल कपड़ा और परिधान निर्यात का लगभग 28.5 प्रतिशत है.

पिछले पांच वर्षों में भारत इस क्षेत्र में अमेरिका के लिए अपेक्षाकृत पसंदीदा भागीदार रहा है.

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