वक्फ कानून की आड़ में देश को दंगों की आग में झोंकने से बाज आए सेक्युलर-जिहादी गठजोड़: विहिप

नई दिल्ली, 10 अप्रैल . विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने गुरुवार को कहा कि पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद लगातार चौथे दिन दंगों की आग में झुलस रहा है. आज देशभर में दंगे भड़काने की धमकियां दी जा रही हैं. जिस वक्फ कानून का वे विरोध करना चाहते हैं, उन्हें पता है कि उस कानून के पास होने से किसी की मस्जिद और दरगाह नहीं छिनेगी. वक्फ बोर्ड के नाम पर सक्रिय भू-माफिया ने जो कई सालों से अरबों की संपत्ति को अपने कब्जे में लिया था, वह छिनेगी. उनकी लूट बंद हो सकती है.

उन्होंने कहा कि यह कानून वही है जिसे बनाने से पहले लगभग एक करोड़ भारतीयों ने अपनी राय दी थी और संसद के दोनों सदनों में 25 घंटे से अधिक की ऐतिहासिक चर्चा हुई थी. इसके बावजूद देश का सेक्युलर जिहादी गठजोड़ देश को दंगों की आग में झोंकने का कुत्सित प्रयास कर रहा है जिससे उसे बाज आना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भारत का सेक्युलर माफिया जो खुद को मुस्लिम वोट बैंक पर एकाधिकार मानता था, उसे डर है कि कहीं उसका एकाधिकार खत्म न हो जाए. सुप्रीम कोर्ट में 18 से ज्यादा याचिकाएं लंबित हैं. फैसले का इंतजार करना चाहिए. ये बार-बार कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट से ऊपर क्या है? लेकिन ऐसा लगता है उन्हें न तो संविधान की परवाह है और न ही न्यायपालिका के प्रति कोई सम्मान है.

डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि भू-माफिया और सेक्युलर माफिया का अपवित्र गठजोड़ 2013 में गुरुग्राम में दिखाई दिया था, जब पालम विहार के बाहर बने एक बड़े पार्क पर वक्फ बोर्ड ने दावा पेश किया था. वहां नमाज के नाम पर लोग इकट्ठा होने शुरू हो गए थे. उस समय की कांग्रेस सरकार ने बिना किसी सबूत के उनके दावों का समर्थन किया था.

उन्होंने आगे कहा कि इसी तरह, वक्फ ने दिल्ली में 123 सरकारी संपत्तियों पर दावा किया था और तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने उनके दावों का समर्थन किया था तथा एफिडेविट तक दिया था. वक्फ कानून में 2013 के संशोधनों के आधार पर संपूर्ण देश में वक्फ के दावों की झड़ी लग गई और ऐसा लग रहा था मानो ये पूरे देश को ही वक्फ की संपत्ति घोषित करके कुछ मौलवियों की निजी मलकीयत बना दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग ओवैसी जैसे नेताओं की असलियत को समझता है. देश की जनता राहुल और अखिलेश जैसे सेक्युलर माफियाओं को बखूबी जान चुकी है. इन लोगों को मालूम है कि कानून की असलियत क्या है और इन लोगों की क्या है? यह पूरे देश को मालूम चल गया है. अब इस गठजोड़ को विरोध के नाम पर दंगों और दंगाइयों से दूर रहकर अपनी इन हरकतों से बाज आना चाहिए.

आज जिस प्रकार की विरोध के नाम पर संपूर्ण देश में हिंसा भड़काने की कोशिश की जा रही है, वह किसी हालत में स्वीकार्य नहीं हो सकती. विरोध करने का अधिकार है, देश को दंगों की आग में झोंकने का अधिकार किसी को नहीं है.

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