नई दिल्ली, 10 अप्रैल . भारत के शीर्ष तीरंदाज रजत चौहान के लिए सपना हकीकत में बदल रहा है, क्योंकि कम्पाउंड तीरंदाजी 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों में पदार्पण करने के लिए तैयार है.
2014 एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता, जो हमेशा ओलंपिक पदक का सपना देखते थे, ने 2016 में अपने दाहिने हाथ पर प्रतिष्ठित पांच ओलंपिक छल्लों का टैटू भी बनवाया था.
चौहान ने गुरुवार को से कहा, “यह पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि कंपाउंड तीरंदाजी टीम को आखिरकार खुद को साबित करने का मौका मिला है. मैंने 2016 में ओलंपिक टैटू बनवाया था और अब मैं पूरी रात सो नहीं पाया हूं. मैं बहुत उत्साहित हूं.”
कम्पाउंड तीरंदाजों के लिए पहला ओलंपिक पदक 2028 ओलंपिक खेलों में प्रदान किया जाएगा, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने घोषणा की है कि कम्पाउंड मिश्रित टीम स्पर्धा को लॉस एंजिल्स में तीरंदाजी कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा.
तीरंदाजी में, कंपाउंड मिक्स्ड टीम का मुकाबला अब पांच और इवेंट्स के साथ जुड़ गया है – पुरुषों और महिलाओं की व्यक्तिगत स्पर्धा, पुरुषों और महिलाओं की टीम स्पर्धा, और मिक्स्ड टीम स्पर्धा. इसके जुड़ने से, अब तीरंदाजी में कुल छह पदक उपलब्ध होंगे.
1972 में तीरंदाजी को ओलंपिक खेलों में पुनः शामिल किये जाने के बाद यह पहली बार है कि प्रतियोगिता में एक नई धनुष-शैली को शामिल किया गया है. 1972 में रिकर्व पुरुष और महिला व्यक्तिगत स्पर्धाओं के साथ तीरंदाजी को ओलंपिक कार्यक्रम में फिर से शामिल किया गया. 1988 में टीम प्रतियोगिताओं को शामिल किया गया और पांचवां तीरंदाजी पदक रिकर्व मिश्रित टीम को शामिल करके टोक्यो 2020 में शुरू किया गया.
मिश्रित टीम फॉर्मेट को मिलाकर, कंपाउंड तीरंदाजी में यह पक्का किया गया है कि लॉस एंजिल्स में भी पुरुष और महिला एथलीटों की संख्या बराबर बनी रहे.
कंपाउंड एक नए तरह का धनुष है, जो अमेरिका में बना है. इसमें कैम और पुली का इस्तेमाल होता है जिससे तीर बहुत ताकत से दूर तक जाता है. 1995 में वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप में पहली बार दिखने के बाद से, इसे बेहतर बनाने के लिए बहुत काम किया गया है.
यह धनुष शैली 2013 से विश्व खेलों में तथा हाल ही में अमेरिका, एशिया, यूरोप और प्रशांत क्षेत्र में आयोजित महाद्वीपीय बहु-खेल आयोजनों में शामिल रही है.
राजस्थान में पुलिस उपाधीक्षक चौहान के नाम चैंपियनशिप में एक रजत पदक, एशियाई खेलों में स्वर्ण और रजत पदक, चार एशियाई चैंपियनशिप पदक (दो स्वर्ण और इतने ही रजत) दर्ज हैं.
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एकेएस/एएस