झारखंड के सरकारी अस्पतालों में ली जाएगी निजी चिकित्सकों की सेवा, 1,117 नए स्वास्थ्य उपकेंद्र भी बनेंगे

रांची, 9 अप्रैल . झारखंड के सरकारी स्वास्थ्य उपकेंद्रों में मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए निजी चिकित्सकों की सेवा ली जाएगी. इन चिकित्सकों को जरूरत के अनुसार ओपीडी से लेकर सर्जरी तक के लिए हायर किया जाएगा और उन्हें प्रति मरीज के हिसाब से भुगतान किया जाएगा. चिकित्सकों को यह राशि स्वास्थ्य बीमा योजना के मद से दी जाएगी.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक के दौरान संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाएं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलों में विशेषज्ञ चिकित्सकों का पैनल बनाकर जरूरत के अनुसार स्वास्थ्य केंद्रों में उनकी सेवा ली जाए, ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की यह प्राथमिकता है कि जिला, अनुमंडल एवं प्रखंड स्तरीय अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सक एवं अन्य चिकित्सा कर्मियों की कमी को दूर किया जाए.

समीक्षा बैठक में बताया गया कि राज्य में 15वें वित्त आयोग के तहत 1,117 नए स्वास्थ्य उपकेंद्रों का निर्माण किया जाना है. प्रथम चरण में 949 तथा द्वितीय चरण में 168 स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण किया जाना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक प्रखंड में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अंचलाधिकारी और अंचल निरीक्षक की कमेटी संयुक्त रूप से स्वास्थ्य उपकेंद्रों के भवन के लिए स्थल का चयन करें, ताकि निर्माण कार्य जल्द से जल्द शुरू किया जा सके.

बैठक में राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज एवं देवघर स्थित एम्स अस्पताल में हेलीपैड बनाने पर भी चर्चा हुई. अधिकारियों को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर काम आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया.

मुख्यमंत्री ने राज्य अस्पतालों में स्थापित सभी ब्लड बैंकों का एक सर्किट बनाने का भी निर्देश दिया. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सरकारी कर्मी ब्लड डोनेशन कैंप में बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभाएं तथा स्वेच्छा से रक्तदान करें. अगले तीन माह के भीतर सभी ब्लड बैंकों में खून की पर्याप्त उपलब्धता रहे, यह सुनिश्चित करें.

उन्होंने कहा कि ब्लड बैंकों का एक पोर्टल बनाया जाए, जहां डेटाबेस इन्फॉर्मेशन उपलब्ध रहे. मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के सिविल सर्जन को जिले का हेल्थ प्रोफाइल तैयार करने का निर्देश देते हुए कहा कि इससे लोगों की स्वास्थ्य संबंधित कई समस्याओं का समाधान किया जा सकेगा.

उन्होंने कहा कि माइनिंग क्षेत्र में हेल्थ एनालिसिस प्रोफाइल अवश्य तैयार हो और सभी उपायुक्त इसकी मॉनिटरिंग अनिवार्य रूप से करते रहें. समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव अलका तिवारी, अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह, प्रधान सचिव वंदना दादेल, एनआरएचएम के निदेशक अबू इमरान उपस्थित रहे. सभी जिलों के उपायुक्त और सिविल सर्जन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इससे जुड़े.

एसएनसी/एबीएम