हमीरपुर, 7 अप्रैल . हिमाचल प्रदेश के जंगलों में पिछले साल आगजनी की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई थी. वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बीते वर्ष राज्य में आग की करीब 2,400 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 30,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र जलकर राख हो गया.
इस वजह से विभाग को लगभग 10 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन इस बार वन विभाग ने जंगल की आग पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की तैयारी कर ली है. आग से होने वाली तबाही को रोकने के लिए विभाग ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं और स्थानीय लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान शुरू करने का फैसला किया है.
हिमाचल में हर साल 15 अप्रैल से फायर सीजन की शुरुआत होती है. इसे ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने सभी डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर्स (डीएफओ) को सतर्क रहने और तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए हैं. इस बार विभाग का जोर जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों को जागरूक करने पर है. इसके लिए फॉरेस्ट विभाग की टीमें ग्रामीण इलाकों में जाएंगी और लोगों को आग से बचाव के उपायों के बारे में बताएंगी.
फॉरेस्ट विभाग की टीमें ग्रामीण इलाकों और जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों से संपर्क कर उन्हें जंगलों में आग से बचाव के उपाय बताएंगी. खासकर उन लोगों को जागरूक किया जाएगा, जिन्होंने जंगलों के पास अपने घर, खेत या घासनी बनाई है. उन्हें बताया जाएगा कि वे सूखी झाड़ियों को न जलाएं, जंगलों की साफ-सफाई में सावधानी बरतें और सुरक्षित तरीके से उनका रखरखाव करें.
हिमाचल प्रदेश के मुख्य आरण्यपाल निशांत मण्डोत्रा ने बताया कि पिछले साल की घटनाओं से सबक लेते हुए इस बार विभाग ने सख्त रणनीति बनाई है. उन्होंने कहा, “पिछले साल आग की 2,400 घटनाओं में 30,000 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए थे, जिससे 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इस बार ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए हम पूरी तरह तैयार हैं.”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर जंगल में आग लगाता पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
वन विभाग की टीमें अब लगातार गश्त करेंगी और आग लगने की स्थिति में तुरंत कदम उठाएंगी. इस पहल से न केवल जंगलों को बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि जैव-विविधता और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान होगा.
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एकेएस/