मुंबई, 26 मार्च . देश के शीर्ष 15 राज्यों का पूंजीगत परिव्यय वित्त वर्ष 26 में सालाना आधार पर 18 प्रतिशत बढ़कर 7.2 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इसकी वजह चुनाव के बाद पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का पूरा होना और केंद्रीय बजट 2025-26 में ब्याज मुक्त पूंजीगत ऋण के माध्यम से राज्यों को 1.50 लाख करोड़ रुपये दिए जाना है.
केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट ने शीर्ष 15 राज्यों के वित्तीय स्थिति का विश्लेषण किया गया, जिससे राज्यों की समग्र वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी मिल सके. वित्त वर्ष 24 में देश की कुल सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में इन राज्यों की हिस्सेदारी 87 प्रतिशत थी.
इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.
रिपोर्ट में बताया गया कि केंद्र सरकार से मिलने वाले टैक्स में 11-12 प्रतिशत की वृद्धि और स्वयं की टैक्स आय में वृद्धि से वित्त वर्ष 25 में कुल राजस्व प्राप्तियां करीब 9 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं.
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि वित्त वर्ष 26 में कुल राजस्व प्राप्तियां 10-11 प्रतिशत बढ़ सकती हैं. इसकी वजह राज्यों के स्वयं की टैक्स आय में बढ़ोतरी और केंद्र से मिलने वाले टैक्स में बढ़ोतरी होना है.
केयरएज रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर प्रसन्ना कृष्णन ने कहा, “भारत के शीर्ष 15 राज्यों के लिए वित्तीय दृष्टिकोण आशावादी बना हुआ है. राजस्व प्राप्तियों में लगातार वृद्धि होने की संभावना है, लेकिन राज्यों को अपने महत्वाकांक्षी बजटीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.”
उन्होंने आगे कहा कि चुनौतियों के बावजूद, वित्त वर्ष 26 के लिए राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत से नीचे रहने का अनुमान है. बढ़ते कर्ज के कारण उधार लेने और खर्च करने के लिए संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है.
–
एबीएस/