नई दिल्ली, 20 मार्च . पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मयूर विहार फेस-2 में स्थित 40 साल पुराने मंदिर को तोड़ने की प्रक्रिया को हाईकोर्ट के निर्देश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की टीम ने शुरू किया था. यह कार्रवाई देर रात की गई, जिसके चलते पुलिस फोर्स भी वहां मौजूद थी. पटपड़गंज विधानसभा से भाजपा विधायक रविंदर सिंह नेगी भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने मंदिर की तोड़फोड़ को रुकवाने में अहम भूमिका निभाई. रविंदर सिंह नेगी ने इस पूरे मामले को लेकर से खास बातचीत की.
रविंदर सिंह नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट ने ग्रीन बेल्ट को अतिक्रमण मुक्त करने के निर्देश दिए थे, जिसके तहत 2015 से लेकर 2024 तक तीन-चार बार नोटिस जारी किए गए थे. लेकिन इस बार बिना किसी पूर्व सूचना के, रात तीन बजे पुलिस बल और डीडीए के अधिकारी मौके पर पहुंच गए और मंदिर को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी.
घटना की जानकारी मिलते ही विधायक रविंदर सिंह नेगी घटनास्थल पर पहुंचे और प्रशासन से बात की. नेगी ने आगे बताया कि उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि बिना नोटिस दिए किसी भी संरचना को तोड़ा नहीं जा सकता. अधिकारियों का जवाब था कि ग्रीन बेल्ट से अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस देने की जरूरत नहीं होती और वे सीधे तोड़फोड़ की कार्रवाई कर सकते हैं.
विधायक नेगी ने को आगे बताया, “इसके बाद मैंने मुख्यमंत्री से संपर्क किया और उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने इस पर तत्काल संज्ञान लिया और उपराज्यपाल को इस कार्रवाई को रुकवाने के लिए कहा. इसके बाद विध्वंस की प्रक्रिया को रोक दिया गया और पुलिस तथा डीडीए के अधिकारी घटनास्थल से वापस लौट गए.”
विधायक ने बताया कि अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया है, जहां गुरुवार सुबह 11 बजे इस पर सुनवाई होगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि कोर्ट से स्थायी रोक मिल सकेगी, जिससे मंदिर को बचाया जा सके.
इस मामले के संदर्भ में एक सवाल के जवाब में विधायक ने कहा कि हाल के वर्षों में धार्मिक स्थलों, जिसमें मंदिर भी शामिल हैं, पर कार्रवाई बढ़ी है. उन्होंने कहा, “कुछ लोग नहीं चाहते कि ये मंदिर रहें, इसलिए वे शिकायतें दर्ज कराते हैं और फिर कानून के तहत कार्रवाई की जाती है. इसके लिए हाईकोर्ट आदेश जारी करता है लेकिन इस ऑर्डर को रुकवाने के भी तरीके हैं. यदि कोर्ट से स्थगन आदेश लिया जाए और उचित प्रमाण प्रस्तुत किए जाएं, तो ऐसे विध्वंस को रोका जा सकता है. मुझे लगता है कि इस केस में भी यही हुआ है. हालांकि अब हम स्थायी रोक के लिए कोर्ट जा रहे हैं.”
जब विधायक से पूछा गया कि अगर हाईकोर्ट का फैसला उनके पक्ष में नहीं आता, तो क्या वे आगे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है और जल्द ही सुनवाई होगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि कोर्ट से इस पर स्थायी रोक मिल जाएगी.
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