मोतिहारी में कांग्रेस की पदयात्रा में कन्हैया कुमार ने भाजपा पर साधा निशाना, बोले-‘चमकने से पहले विकास की सोचें’

मोतिहारी, 19 मार्च . कांग्रेस पार्टी के एनएसयूआई विंग और यूथ कांग्रेस के नेतृत्व में बुधवार को मोतिहारी में एक विशाल पदयात्रा निकाली गई. इस पदयात्रा में जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार भी शामिल हुए. यह पदयात्रा बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम मानी जा रही है. इस बीच, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अपना चुनावी सॉन्ग जारी किया है. भाजपा का यह थीम सॉन्ग ‘चमके बिहार-गमके बिहार’ के नारे के साथ है. भाजपा के इस गीत को लेकर कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने तीखा हमला बोला है.

कन्हैया कुमार ने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिहार में भाजपा और एनडीए की सरकार पिछले 20 सालों से सत्ता में है, लेकिन क्या सच में बिहार में कोई विकास हुआ है? बिहार कितना चमक रहा है, यह पूरी दुनिया जानती है. भाजपा को यह समझने की आवश्यकता है कि सॉन्ग रिलीज़ करने से पहले बिहार में बुनियादी समस्याओं पर काम करना चाहिए. कन्हैया ने भाजपा को नसीहत देते हुए कहा कि वह चाहे जितने सॉन्ग जारी कर ले, लेकिन यदि वह बिहार के पलायन को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाएगी, तो इस तरह के सॉन्ग का कोई असर नहीं होगा. 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार और 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने जनता से रोजगार के वादे किए थे, लेकिन उस वादे का क्या हुआ? क्या बीजेपी और एनडीए ने उस पर कोई काम किया?

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि चुनाव और यात्रा दो अलग-अलग चीजें हैं. यदि आप इनमें कोई संबंध ढूंढना चाहते हैं, तो इतना ही संबंध है कि इस यात्रा का उद्देश्य बिहार के प्रभावित युवाओं के मुद्दों को राजनीति के केंद्र में लाना है. ये वो युवा हैं जो प्रश्नपत्र लीक होने, लंबित भर्तियों के रुकने, अस्थाई रोजगार प्रबंधन के तहत समान वेतन न मिलने जैसी समस्याओं से परेशान हैं. हम चाहते हैं कि जब चुनाव हों, टीवी स्टूडियो में बहस हो या पार्टियां अपना घोषणापत्र बनाएं, तो युवाओं के सवालों को प्राथमिकता दी जाए. यात्रा का उद्देश्य चुनावी नहीं है. हमारा मानना है कि बिहार में पलायन एक बड़ा मुद्दा है, जो शिक्षा, रोजगार, इलाज और सामाजिक सुरक्षा की कमी से जुड़ा है. इस यात्रा का मकसद यही है कि पलायन रुके और लोगों को नौकरी मिले.

उन्होंने कहा कि भाजपा क्या कहती है, इससे हमें कोई लेना-देना नहीं. हम इस यात्रा को बिहार के युवाओं की यात्रा के रूप में आगे बढ़ाना चाहते हैं, जो हो रहा है. अभी आपके सामने लंबित भर्तियों के प्रभावित लोग हैं. करीब डेढ़ लाख लोगों की भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, नियुक्ति पत्र मिलने ही वाला था, लेकिन भर्ती रद्द कर दी गई. बहाना कोविड का दिया गया, जबकि कोविड के दौरान बिहार में चुनाव हुए थे. अब फिर चुनाव होने हैं, लेकिन इन युवाओं को नियुक्ति पत्र नहीं मिला. बीपीएससी के छात्रों पर बिहार पुलिस ने डंडे चलाए. भर्तियों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, समय पर भर्तियां नहीं निकल रही हैं. इस प्रदेश का युवा बड़ी मुश्किल में है. बीजेपी को याद दिलाना चाहता हूं कि आपने भी 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था. अगर बिहार को चमकाना है, तो बताएं कि आप कितनी नौकरियां देंगे? बीजेपी वाले कह रहे हैं कि मैं सभ्य भाषा में बोल रहा हूं, मैं उम्मीद करता हूं कि वे गाली-गलौज करेंगे, क्योंकि यह तो बहुत सभ्य तरीके से कहा गया है.

कन्हैया कुमार ने आगे कहा कि सवाल यह है कि मुझे या किसी को दिल्ली क्यों जाना पड़ता है? पटना में भी एम्स है, दिल्ली में भी है. तो पटना में एम्स होने के बावजूद इलाज के लिए दिल्ली क्यों जाना पड़ता है? बिहार में विश्वविद्यालय हैं, पटना विश्वविद्यालय 1907 में बना, जबकि दिल्ली के कई विश्वविद्यालय आजादी के बाद खुले. फिर पटना के छात्रों को दिल्ली क्यों जाना पड़ता है? इसमें अनावश्यक राजनीतिक मसाला ढूंढने के बजाय सच ढूंढने की कोशिश करें. सच यह है कि अगर सरकार दावा करती है कि सब ठीक है, तो लोग अच्छाई छोड़ बुराई की ओर क्यों जा रहे हैं? हमें बताएं कि पंजाब या हरियाणा के लोग हमारे धान या गेहूं की कटाई क्यों नहीं कर रहे? बिहार के लोगों के पास अपनी जन्मभूमि को कर्मभूमि बनाने का अवसर नहीं है, इसलिए वे पलायन कर रहे हैं.

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