वृंदावन, 18 मार्च . तीर्थ नगरी में दक्षिणात्य शैली के विशालतम श्री रंगनाथ मंदिर के 10 दिवसीय ब्रह्मोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को सुबह भगवान रंगनाथ माता गोदा जी के साथ स्वर्ण निर्मित सूर्य प्रभा पर विराजमान होकर भक्तों को कृतार्थ करने निकले. ठाकुर गोदा रंगमन्नर के स्वागत में भक्तों ने सुंदर रंगोलियां सजाई.
रथ मंडप से सूर्य प्रभा पर विराजमान होकर भगवान रंगनाथ की सवारी मंदिर प्रांगण में स्थित बारहद्वारी पर पहुंची, जहां मंदिर के महंत गोवर्धन रंगाचार्य के नेतृत्व में दक्षिण भारत से आए विद्वानों ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य सस्वर भगवान का दिव्य पाठ किया.
वैदिक मंत्रोच्चार पूर्ण होने के बाद भगवान की कुंभ आरती की गई. इसके पश्चात भगवान की सवारी नगर भ्रमण के लिए निकली. परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के बीच भगवान स्वर्ण निर्मित सूर्य प्रभा वाहन पर विराजमान होकर मंदिर से बाहर निकले. इस दौरान पूरा मंदिर परिसर भगवान रंगनाथ के जयकारों से गुंजायमान हो उठा.
ब्रह्मोत्सव के दूसरे दिन निकलने वाली भगवान रंगनाथ की सवारी का महत्व बताते हुए मंदिर के रघुनाथ स्वामी ने बताया कि भगवान सूर्य ब्रह्मांड में प्रकाश करते हैं, लेकिन उनके अंदर प्रभा प्रभु की ही है, क्योंकि नारायण उन सवित्र देव के मध्य विराजमान होकर अपनी शक्ति से सूर्य देव बनाए हैं. इस सवारी में बैठे प्रभु के दर्शन करने से दृष्टि दोष दूर होता है. इससे पहले सोमवार की सायंकाल में भगवान रंगनाथ स्वर्ण निर्मित सिंह (शेर) वाहन पर विराजमान होकर निकले.
सोने के सिंह पर विराजमान भगवान के दर्शन कर भक्त आनंदित हो गए. सिंह को मृगेंद्र भी कहा जाता है. अपने पराक्रम पर मृगेंद्र को भरोसा है. लेकिन, उस पर सवार भगवान ही हैं, अर्थात शक्तिशालियों के अंतर में अंतर्यामी प्रभु द्वारा प्रदान की गई शक्ति ही है. सिंह पर विराजमान भगवान की सवारी के दर्शन से शक्ति प्राप्त होती है.
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एसएचके/एकेजे