सरकार मनरेगा योजना को कमजोर कर रही है : सोनिया गांधी

नई दिल्ली, 18 मार्च . कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने मंगलवार को राज्यसभा में मनरेगा योजना का विषय उठाया. उन्होंने शून्यकाल में बोलते हुए कहा कि मनरेगा योजना को कमजोर किया जा रहा है. उन्होंने इस पर अपनी चिंता जाहिर की.

सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर इस योजना को व्यवस्थित रूप से कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संघीय बजट में इस योजना के लिए कम धन आवंटित किया गया है.

सोनिया गांधी ने राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए कहा, “मैं आपका ध्यान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत रोजगार के अधिकार की ओर आकर्षित करना चाहती हूं. इस योजना को यूपीए सरकार के कार्यकाल में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लागू किया गया था. यह ऐतिहासिक कानून लाखों ग्रामीण गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चक्र साबित हुआ है.”

मनरेगा योजना की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सोनिया गांधी ने कहा, “मुझे इस बात की गहरी चिंता है कि वर्तमान भाजपा सरकार ने इस योजना को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया है और बजट आवंटन 86,000 करोड़ रुपए पर स्थिर रहा है. वास्तविकता में आवंटित बजट में 4,000 करोड़ रुपए की कमी आई है. इसके अलावा, अनुमान है कि लगभग 20 प्रतिशत आवंटित राशि पिछले सालों के बकाया भुगतान को निपटाने में खर्च हो जाएगी.”

सदन में आगे बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि इस योजना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि आधार-आधारित भुगतान प्रणाली और राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली की अनिवार्यता. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा के तहत मिलने वाले वेतन भुगतान में लगातार देरी हो रही है और मुद्रास्फीति के हिसाब से लोगों को मिलने वाली मजदूरी दर अपर्याप्त है.

सोनिया गांधी ने इन समस्याओं के समाधान के लिए कांग्रेस पार्टी की ओर से कुछ मांगें सदन के समक्ष रखीं. इन मांगों में कहा गया है कि मनरेगा के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान किए जाएं, योजना को बनाए रखने और विस्तार करने के लिए पर्याप्त धन दिया जाए. न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की जाए. दैनिक न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये हो. समय पर वेतन वितरण हो. सोनिया गांधी ने मनरेगा स्कीम के तहत लागू कई अनिवार्य आवश्यकताओं को हटाने की भी बात कही.

उन्होंने कहा कि आधार-आधारित भुगतान प्रणाली और राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए. गारंटीकृत कार्य दिवसों की वृद्धि की जाए. प्रत्येक वर्ष के लिए 100 से 150 कार्य दिवसों की गारंटी दी जाए. सोनिया गांधी ने कहा कि ये उपाय मनरेगा के तहत गरिमापूर्ण रोजगार और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं.

जीसीबी/एएस