जम्मू-कश्मीर के विकास को लेकर वहीद पारा ने जताई चिंता, वक्फ संशोधन विधेयक पर उठाए सवाल

जम्मू, 15 मार्च . कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधायक वहीद पारा ने शनिवार को समाचार एजेंसी से खास बातचीत की. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विकास, वक्फ संशोधन विधेयक और कर्नाटक में अल्पसंख्यकों को दिए गए चार प्रतिशत आरक्षण पर प्रतिक्रिया दी.

वहीद पारा ने जम्मू-कश्मीर में हो रहे विकास कार्यों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 के बाद विकास और औद्योगिकीकरण के नाम पर किए गए फैसले सही नहीं थे. जम्मू-कश्मीर के संसाधनों और जमीनों पर पहला अधिकार यहां के स्थानीय लोगों का होना चाहिए. यहां की जमीन पर पहला अधिकार जम्मू-कश्मीर के लोगों का है, उसके बाद बाहरी लोगों का.

उन्होंने राज्य में बढ़ती बेरोजगारी पर भी चिंता जताई और बताया कि जम्मू-कश्मीर में आज बेरोजगारी का स्तर 32 प्रतिशत तक पहुंच चुका है, जो पहले कभी नहीं था. विकास ऐसा होना चाहिए जिसमें सभी समुदायों को समान अवसर मिले और यह केवल औद्योगीकरण तक सीमित न हो, बल्कि यह समाज के सभी वर्गों की बेहतरी के लिए काम करे.

वक्फ संशोधन विधेयक पर असदुद्दीन ओवैसी के बयान का वहीद पारा ने समर्थन किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जो लोग इस्लाम या मुसलमानों के धर्म को नहीं समझते, वे वक्फ संपत्ति के बारे में फैसला नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि जो लोग इस्लाम के बारे में कुछ नहीं जानते, वे कैसे वक्फ संपत्ति के बारे में निर्णय ले सकते हैं? इस मसले पर केवल मुसलमानों को ही बोलने का अधिकार है.

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सरकार की नीति की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपनी संपत्तियों पर निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए और इसे किसी बाहरी व्यक्ति को तय करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

वहीद पारा ने कर्नाटक सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों को दिए गए चार प्रतिशत आरक्षण को सही ठहराते हुए कहा कि इसे सांप्रदायिकता के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस फैसले का उद्देश्य अल्पसंख्यकों के एक वर्ग का उत्थान कर उसे समान अवसर प्रदान करना है और इसे उसी तरह देखा जाना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक कैबिनेट ने सरकारी टेंडरों में मुस्लिम ठेकेदारों को चार प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

पीएसके/एकेजे