चंडीगढ़, दमन और दीव ने सरकारी भवनों पर रूफटॉप सोलर के 100 फीसदी लक्ष्यों को प्राप्त किया

नई दिल्ली, 13 मार्च . भारत को क्लीन एनर्जी अपनाने में आगे रखते हुए चंडीगढ़, दमन और दीव ने रूफटॉप सोलर बनाने के 100 प्रतिशत सरकारी लक्ष्य हासिल कर लिया है. सरकार ने गुरुवार को यह जानकारी दी.

राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्य भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि सरकार 2026-27 तक 1 करोड़ घरों तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ योजना के सुचारू और समय पर क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों में प्रगति की निगरानी कर रही है.

दुनिया की सबसे बड़ी घरेलू रूफटॉप सोलर पहल, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (पीएमएसजीएमबीवाई) ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जिसमें अब 10 लाख घर सौर ऊर्जा से संचालित हो चुके हैं.

13 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई यह योजना भारत के ऊर्जा परिदृश्य को तेजी से नया आकार दे रही है.

47.3 लाख आवेदन प्राप्त होने के साथ, इस पहल ने पहले ही 6.13 लाख लाभार्थियों को 4,770 करोड़ रुपये की सब्सिडी बांटी है.

इस योजना के आसान फाइनेंसिंग विकल्पों में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के माध्यम से 6.75 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 2 लाख रुपये तक के कोलेटरल-फ्री लोन शामिल हैं, जिससे इसे अपनाने में और तेजी आई है.

अब तक 3.10 लाख लोन एप्लीकेशन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 1.58 लाख स्वीकृत और 1.28 लाख वितरित किए गए हैं.

15 दिनों की सब्सिडी ट्रांसफर प्रॉसेस और कई लाभार्थियों के लिए जीरो इलेक्ट्रिसिटी बिल के साथ, यह योजना न केवल घरों को बिजली दे रही है, बल्कि लोगों को सशक्त भी बना रही है.

मंत्रालय के अनुसार, पीएमएसजीएमबीवाई के तहत प्रत्येक सौर ऊर्जा स्थापना 100 पेड़ लगाने के बराबर कार्बन उत्सर्जन को कम करती है, जिससे भारत एक स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर बढ़ रहा है.

इस योजना के तहत घरों को सब्सिडी वाले रूफटॉप सोलर पैनल लगाकर मुफ्त बिजली दी जाती है, जिससे उनकी ऊर्जा लागत में कमी आती है.

सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर इस योजना से सरकार को बिजली की लागत में सालाना अनुमानित 75,000 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है.

यह योजना रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों को अपनाने को प्रोत्साहित करती है, जिससे भारत में अधिक सस्टेनेबल और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा मिश्रण में योगदान मिलता है.

मंत्रालय के अनुसार, “इस योजना के तहत सौर ऊर्जा में बदलाव से कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे भारत के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के कमिटमेंट को बल मिलेगा.”

एसकेटी/केआर