होली पर ‘मेक इन इंडिया’ का असर: देसी सामानों की बिक्री बढ़ी, मोदी मुखौटे की मांग में उछाल

इटावा, 13 मार्च . होली की रौनक उत्तर प्रदेश के विभिन्न बाजारों में दिख रही है. इटावा के बाजार भी सज चुके हैं. इस बार एक नया ट्रेंड सबको अपनी ओर खींच रहा है. यहां ‘मेक इन इंडिया’ का असर साफ दिख रहा है. जहां पिछले सालों में चीनी सामानों का बोलबाला था, वहीं इस बार स्वदेशी उत्पादों की बिक्री में भारी वृद्धि देखी जा रही है.

होली के इस त्योहार पर बच्चों और युवाओं के लिए पिचकारियां हमेशा आकर्षण का केंद्र रही हैं. पहले बाजारों में चीनी पिचकारियों की भरमार थी, लेकिन इस बार भारतीय निर्मित पिचकारियों की मांग ज्यादा है.

दुकानदार गोविंद वर्मा का कहना है, “भारतीय पिचकारियां चाइनीज पिचकारियों से ज्यादा मजबूत और टिकाऊ होती हैं, जिस कारण ग्राहक इन्हें ज्यादा पसंद कर रहे हैं. पहले लोग सस्ती चाइनीज पिचकारियों को खरीदते थे. लेकिन, अब वे स्वदेशी उत्पादों की ओर रुख कर रहे हैं.”

होली के बाजार में मुखौटों की हमेशा मांग रहती है. लेकिन, इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखौटे की बिक्री ने सबको हैरान कर दिया है. दुकानदारों का कहना है कि इस बार मोदी जी के मुखौटों की मांग बहुत ज्यादा है. हर साल बॉलीवुड और राजनीतिक हस्तियों के मुखौटे बाजार में आते हैं. लेकिन, इस बार मोदी मुखौटे की बिक्री सबसे ज्यादा हो रही है.

डॉक्टर अमित गुप्ता का कहना है कि हर साल होली पर लोग रासायनिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे त्वचा और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. इस बार लोग हर्बल रंगों और गुलाल को प्राथमिकता दे रहे हैं.

उन्होंने बताया, “रासायनिक रंग त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जबकि हर्बल रंग सुरक्षित होते हैं और शरीर को ठंडक भी देते हैं. हमें हमेशा प्राकृतिक गुलाल और हर्बल रंगों का ही इस्तेमाल करना चाहिए.”

व्यापारियों का कहना है कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का सकारात्मक असर अब बाजारों में दिखाई देने लगा है. पहले सस्ते दामों के कारण चीनी सामान ज्यादा बिकते थे, लेकिन अब स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता के कारण लोग इन्हें प्राथमिकता दे रहे हैं.

इस बार की होली में जहां एक तरफ पर्यावरण का ख्याल रखा जा रहा है, वहीं ‘मेक इन इंडिया’ के प्रभाव से स्वदेशी सामानों की बिक्री भी बढ़ रही है.

एसएचके/केआर