वायु सेना के ‘अश्विनी’ से लड़ाकू विमानों, यूएवी और हेलीकॉप्टर्स का चलेगा पता

नई दिल्ली, 12 मार्च . भारतीय वायु सेना की क्षमता बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक बड़ा सौदा किया. इस महत्वपूर्ण सौदे से भारतीय वायुसेना को अत्याधुनिक रडार सिस्टम (अश्विनी) हासिल होगा. 2,906 करोड़ रुपए की लागत वाला यह रडार सिस्टम नए जमाने के आधुनिक लड़ाकू जहाजों का पता लगाने में सक्षम है.

महत्वपूर्ण बात यह है कि यह रडार सिस्टम स्वदेशी है. इसके आने पर भारतीय वायुसेना की विदेशी उपकरणों पर निर्भरता भी कम होगी. सरकार के देश की स्वदेशी रक्षा क्षमता को मजबूत करने के प्रयासों के तहत यह फैसला किया गया है.

रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) गाजियाबाद के साथ 2,906 करोड़ रुपए की लागत से लो-लेवल ट्रांसपोर्टेबल रडार (एलएलटीआर) ‘अश्विनी’ की खरीद का सौदा तय किया है. इसके लिए एक पूंजी अधिग्रहण समझौते पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं. यह रडार डीआरडीओ के इलेक्ट्रॉनिक्स और रडार विकास प्रतिष्ठान द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है.

यह समझौता नई दिल्ली में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में साइन किया गया. एलएलटीआर (अश्विनी) एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन किया गया फेज़्ड एरे रडार है, जो अत्याधुनिक सॉलिड-स्टेट ऑफ द आर्ट तकनीक पर आधारित है.

भारत का यह रडार उच्च गति वाले लड़ाकू विमानों को ट्रैक करने में सक्षम है. इतना ही नहीं, यह आधुनिक रडार सिस्टम धीमी गति से चलने वाले लक्ष्यों जैसे कि यूएवी और हेलीकॉप्टरों को भी ट्रैक करने में सक्षम है.

माना जा रहा है कि इस आधुनिक रडार के अधिग्रहण से भारतीय वायु सेना की परिचालन तत्परता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी. यह निर्णय स्वदेशी रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

इस समझौते से विदेशी उपकरण निर्माताओं पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी. यह देश में रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा.

जीसीबी/एबीएम