देवघर, 7 मार्च . द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ बाबा बैद्यनाथ धाम में कई ऐसी धार्मिक प्रथाएं हैं, जिसे जानकर आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे. झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर में होली के अवसर पर अनूठी धार्मिक परंपरा निभाई जाती है, जिन्हें ‘हरिहर मिलन’ के नाम से जाना जाता है. ‘हरि’ मतलब भगवान विष्णु और ‘हर’ मतलब देवाधिदेव महादेव.
मान्यता है कि ‘हरिहर मिलन’ के साथ ही देवघर और आसपास के इलाकों में होली का पावन पर्व शुरू हो जाता है. इस बार बाबा बैद्यनाथ मंदिर में ‘हरिहर मिलन’ का आयोजन 13 मार्च को है. ‘हरिहर मिलन’ बाबा बैद्यनाथ मंदिर में होली से पहले मनाई जाने वाली एक परंपरा है.
पौराणिक धर्मग्रंथों और बाबा मंदिर के तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि ‘हरिहर मिलन’ के दिन ही बाबा बैद्यनाथ देवघर पधारे थे. इस दौरान कई खास अनुष्ठान संपादित होते हैं. ‘हरिहर मिलन’ के पावन अवसर पर भगवान विष्णु (श्रीकृष्ण) अपने आराध्य भगवान से मिलने आते हैं. फिर, दोनों देवता एक साथ होली खेलते हैं और आनंदित हो जाते हैं.
बाबा बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित प्रभाकर शांडिल्य बताते हैं, “हरिहर मिलन के दिन ही महादेव देवघर पधारे थे. इसके पीछे रावण से जुड़ी कथा है. रावण ने भगवान शिव से जिद करके लंका चलने का आग्रह किया था. शिव रावण की भक्ति से प्रसन्न हुए और शिवलिंग के रूप में लंका जाने के लिए तैयार हुए. शर्त थी कि रावण लंका यात्रा के बीच में कहीं भी शिवलिंग नहीं रखेगा. ऐसा करने पर शिवलिंग वहीं स्थापित हो जाएगा.”
उन्होंने बताया, “रावण शिवलिंग लेकर लंका जा रहे थे तो विष्णु जी वृद्ध ब्राह्मण के वेश में नीचे खड़े थे. इसी दौरान रावण को लघुशंका लगी और वह जमीन पर उतरा. बैद्यनाथ धाम में माता सती का हृदय गिरा था. यही कारण था कि भगवान विष्णु की योजना के कारण रावण को शिवलिंग लेकर जमीन पर उतरना पड़ा.”
“रावण वचनबद्ध था कि अगर वह शिवलिंग को जमीन पर रख देगा तो महादेव वहीं स्थापित हो जाएंगे. भगवान विष्णु ने ही रावण से शिवलिंग ग्रहण किया था और उसे स्थापित कर दिया. इस तरह माता सती और देवाधिदेव महादेव का देवघर में मिलन हो गया. जिस शिवलिंग को भगवान विष्णु जी ने ग्रहण किया था, उसी के साथ भगवान विष्णु (श्रीकृष्ण के रूप में) ‘हरिहर मिलन’ पर होली खेलते हैं.”
‘हरिहर मिलन’ को लेकर प्रभाकर शांडिल्य ने आगे बताया, “कन्हैया जी की प्रतिमा साल में एक बार बाहर निकलती है. भगवान श्रीकृष्ण बैजू मंदिर के पास जाकर झूला झूलते हैं. झूला झूलने के बाद भगवान श्रीकृष्ण आनंदित हो जाते हैं. भगवान आनंदित होकर परमानंद महादेव के पास आते हैं. फिर, दोनों गुलाल खेलते हैं.
उन्होंने बताया, “इस दिन भगवान को भोग लगता है. मालपुआ चढ़ाया जाता है. भक्त और दोनों भगवान एक-दूसरे को गुलाल चढ़ाते हैं. ‘हरिहर मिलन’ के बाद भगवान श्रीकृष्ण अपने स्थान पर लौट जाते हैं. गुलाल प्राकृतिक रंग है. यही कारण है कि भगवान को गुलाल समर्पित किया जाता है.”
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एबीएम/