नई दिल्ली, 5 मार्च . जब कभी-भी मूड स्विंग का जिक्र होता है, तो हम इसे हमेशा महिलाओं से ही जोड़कर देखते हैं. हम इसे कभी पुरुषों से जोड़कर देखने की जहमत नहीं उठाते हैं, चूंकि कई लोगों की यह धारणा बन चुकी है कि मूड स्विंग की समस्या सिर्फ महिलाओं में ही देखने को मिल सकती है. लेकिन, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. डॉक्टर इस बात को स्वीकार करते हैं कि जिस तरह से महिलाओं में मूड स्विंग की स्थिति पैदा होती है, ठीक उसी तरह से पुरुषों में भी मूड स्विंग की समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.
इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए ने सीके बिरला अस्पताल के डॉ. ऋषि राज वोहरा से खास बातचीत की.
डॉ. वोहरा बताते हैं कि ‘इरिटेबल मेल सिंड्रोम’ वैज्ञानिक रूप से मान्यता प्राप्त स्थिति है, जो आमतौर पर पुरुषों में देखने को मिलती है. यह स्थिति हार्मोनल रूप में असंतुलन और विशेष रूप से टेस्टोस्टेरोन के उतार चढ़ाव के कारण होती है. ऐसी स्थिति में पुरुषों में मूड स्विंग की समस्या देखने को मिलती है.
डॉ. बताते हैं कि ऐसी स्थिति में पुरुषों में थकान, कमजोरी, अनिद्रा की समस्या, सेक्स की इच्छा का न होना, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाना, चिड़चिड़ापन हो जाना, मांसपेशियों की कमी, काम में मन न लगना, निर्णय लेने में कठिनाई जैसी स्थिति पैदा होती है.
डॉ. वोहरा के मुताबिक, ‘इरिटेबल मेल्स सिंड्रोम’ किसी भी उम्र के व्यक्ति को सकता है. यह चक्रिय नहीं होता है. आसान भाषा में कहे तो इसकी अपनी कोई समय अवधि नहीं होती है. यह किसी भी उम्र में और कितने भी समय के लिए हो सकता है.
वो बताते हैं कि किसी भी पुरुष में इस तरह की स्थिति उसके आहार, खाना पान, उसकी जीवनशैली पर निर्भर करता है.
डॉ. बताते हैं कि अगर आप अपनी जीवन शैली ठीक रखें, तो आप इससे छुटकारा पा सकते हैं. ऐसी स्थिति में आपको अपना खानपान ठीक रखना चाहिए. इसके साथ ही मानसिक संतुलन बनाकर रखना चाहिए.
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