पटना, 2 मार्च . बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में रविवार को भाकपा (माले) ने ‘बदलो बिहार महाजुटान’ रैली का आयोजन किया. इस रैली में आए लोगों को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य में गरीब, किसान, मजदूर, दलित, आदिवासी, महिलाएं, मुस्लिम, फुटपाथी दुकानदार जैसे कमजोर समुदायों की पीड़ा दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. अब समय आ गया है कि इस पीड़ा को एक ताकत में बदल दिया जाए.
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि जो लोग अलग-अलग मुद्दों पर संघर्ष करते रहे हैं, उन्हें एक मंच पर लाने का अवसर आज मिला है. आज ये सभी मुद्दे एक ही दिशा में संगठित हो रहे हैं और गांधी मैदान से बिहार में बदलाव का संकल्प लिया जा रहा है.
उन्होंने एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा, “50 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बिहार सरकार पूरी तरह से विफल हो चुकी है और उसका समय अब खत्म हो चुका है. वहीं, 25 प्रतिशत लोग मानते हैं कि सरकार बेकार है, लेकिन अभी तक बदलाव की सोच नहीं बनी. अगर 75 प्रतिशत लोग ऐसा मानते हैं, तो भाजपा को अपने ख्याली सपनों में जीने दिया जाए. बिहार वही रास्ता अपनाएगा, जैसे झारखंड में भाजपा को रोका गया. 2020 में जहां गाड़ी रुकी थी, वहीं से आगे बढ़ेगी. नीतीश कुमार के जाने के बाद भी 2024 में हमने कई लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की. यह साबित करता है कि बिहार का बदलाव अब तय है.”
उन्होंने कहा कि एकता का यह जो आगाज हुआ है, वह बिहार में बदलाव की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है. किसान दिल्ली में एकजुट हुए और मोदी सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर किया. ठीक वैसे ही, बिहार के मजदूर-किसान भी यदि चाह लें तो चार लेबर कोड वापस करवा सकते हैं. पुरानी पेंशन स्कीम लागू हो सकती है. यह साल चुनाव का साल है. उन्होंने कहा कि 20 साल का समय कम समय नहीं है. बार-बार लोगों ने मौका दिया है. नीतीश कुमार का मतबल अब भाजपा है. भाजपा बिहार की सत्ता काबिज करके लूट और पुलिस तथा सामंती उत्पीड़न का राज लाना चाहती है.
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एमएनपी/एकेजे