मथुरा: फुलेरा दूज पर लाडली जी महाराज मंदिर में ‘चंग’ की थाप पर झूम उठे भक्त

मथुरा, 1 मार्च . शनिवार को वृंदावन की छटा निराली निकली. हो भी क्यों न फुलेरा दूज जो है. इस दिन से गोकुल और बरसाने की गलियां अपने श्रीकृष्ण का फूल से सत्कार करने में जुट जाती हैं.

1 मार्च से शुरू हुआ पर्व फूल, रंग, अबीर, लड्डू से होता हुआ लठमार होली तक पहुंचेगा. होली का उल्लास अनूठा है और दुनिया भर से श्रद्धालु इसे देखने पहुंचने लगे हैं. फुलेरा द्विज की सुबह से ही श्री जी के भक्त उनकी अटारी पहुंचने लगे. मंदिर के भीतर चंग-ढोलक की थाप संग राधा रानी को पूरे भाव से सुमिरन करने लगे.

फुलेरा द्विज को लेकर कहानियां और मान्यताएं कई हैं. कुछ कहते हैं कि अपनी राधा रानी से मिलने घनश्याम पधारते हैं तो कुछ का मानना है कि कृष्ण भगवान स्वयं भक्तों के साथ होली खेलने पधारते हैं. मान्यताएं-कहानियां कुछ भी हों लेकिन रौनक शानदार होती है. सुबह से ही श्री जी के भक्त उनके द्वार पहुंचने लगे.

मथुरा के श्री लाडली जी महाराज मंदिर में इस समय होली का माहौल पूरी तरह से भव्य है. यहां रंगों की ऐसी बरसात होती है कि भक्त भक्ति और उल्लास में डूब जाते हैं. मंदिर में फूलों की होली, हुरंगा होली और गुलाल होली की परंपराएं बड़े धूमधाम से मनाई जाती हैं. श्रद्धालु न सिर्फ रंग खेलते हैं, बल्कि यहां के आध्यात्मिक वातावरण में भी मग्न हो जाते हैं, जो उन्हें एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है.

इस साल ब्रज क्षेत्र में होली के त्योहार की धूम अलग ही देखने को मिलेगी. 7 मार्च से 15 मार्च तक आयोजित होने वाले विभिन्न होली आयोजनों में श्रद्धालु और पर्यटक दोनों ही जमकर रंगों की मस्ती में डूबेंगे.

7 मार्च को बरसाना में लड्डू मार होली का आयोजन होगा, जहां श्रद्धालु लड्डू फेंकते हुए एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं देंगे. 8 मार्च को बरसाना में ही लठमार होली खेली जाएगी, जो खासतौर पर महिलाओं द्वारा पुरुषों पर लठमार (लाठी से खेल) के रूप में खेली जाती है.

9 मार्च को नंद गांव में भी लट्ठमार होली का आयोजन होगा, जिसमें स्थानीय लोग और श्रद्धालु पूरे जोश के साथ हिस्सा लेंगे. इसके बाद 10 मार्च को वृंदावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में रंगों की होली का आयोजन होगा, जो विश्वभर में प्रसिद्ध है.

11 मार्च को गोकुल में छड़ी मार होली का आयोजन होगा, जो विशेष रूप से श्रद्धालुओं द्वारा छड़ी से एक-दूसरे को रंग लगाने का पारंपरिक तरीका है. इसके बाद 13 मार्च को फालेन गांव में होलिका दहन होगा, जिसमें दहकते अंगारों के बीच से पंडा निकलेगा, यह एक अद्भुत धार्मिक परंपरा है.

14 मार्च को संपूर्ण ब्रज क्षेत्र में होली का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा, जिसमें सभी लोग रंगों से सराबोर हो जाएंगे. और अंत में, 15 मार्च को दाऊजी में हुरंगा का आयोजन किया जाएगा, जहां श्रद्धालु विशेष रूप से हुरंगों के साथ रंगों में डूबकर होली का आनंद लेंगे.

एकेएस/केआर