नई दिल्ली, 28 फरवरी . एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने कहा है कि लड़ाकू विमानों की मौजूदा कमी को पूरा करने और भविष्य में चरणबद्ध तरीके से सेवा से बाहर होने वाले विमानों की भरपाई के लिए वायुसेना को हर साल 35 से 40 नए फाइटर जेट अपने बेड़े में शामिल करने की जरूरत है. उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी का सुझाव दिया है.
वायुसेना प्रमुख ने शुक्रवार को चाणक्य डायलॉग में कहा, “हमें प्रति वर्ष 35-40 विमानों की आवश्यकता है और यह लक्ष्य हासिल करना असंभव नहीं है. भारतीय वायुसेना को फाइटर जेट की मौजूदा कमी को पूरा करने की आवश्यकता है. अगले कुछ वर्षों में पुराने बेड़ों के मिराज, मिग-29 और जगुआर चरणबद्ध तरीके से बाहर हो जाएंगे. ऐसे में विमानों की कमी दूर करने के लिए हर साल 35 से 40 लड़ाकू विमानों की जरूरत है.”
उन्होंने कहा कि बल को प्रति वर्ष दो स्क्वाड्रन जोड़ने की जरूरत है, जिसका मतलब है कि हमें प्रति वर्ष 35-40 विमानों की आवश्यकता है. यह क्षमता रातोंरात नहीं आ सकती. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने अगले साल 24 तेजस मार्क-1ए जेट बनाने का वादा किया है, मैं इससे खुश हूं.”
वायुसेना प्रमुख ने लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने के लिए निजी कंपनियों पर विचार करने का सुझाव दिया. इसके लिए उन्होंने टाटा और एयरबस के संयुक्त उद्यम द्वारा सी-295 परिवहन विमान के निर्माण का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि हम निजी भागीदारी से प्रतिवर्ष 12-18 जेट प्राप्त कर सकते हैं.
गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना नए लड़ाकू विमान न मिलने से चिंतित है. लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में देरी से वायुसेना की क्षमता पर प्रभाव पड़ रहा है. इन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में हो रही देरी को लेकर एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह विभिन्न मौकों पर अपनी बात रख चुके हैं.
उन्होंने पूर्व में एलसीए मार्क-1ए की आपूर्ति में हो रही देरी को स्वीकार किया और इसको लेकर चिंता व्यक्त की थी. इस पर एचएएल कह चुका है कि वह एयरफोर्स की चिंताओं से वाकिफ है और मार्च में अमेरिका से एफ-404 इंजन मिलना शुरू होने के बाद वायुसेना को जेट की आपूर्ति शुरू हो जाएगी. कंपनी ने बताया कि 2025-26 में कुल एक दर्जन विमान इंजन मिल जाएंगे.
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जीसीबी/एबीएम/एकेजे