नई दिल्ली, 25 फरवरी . भारत का मानना है कि शांति, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ग्लोबल साउथ के देशों के बीच एकता की जरूरत है. इन देशों को एक-दूसरे के अनुभवों से सीखना चाहिए और सामूहिक ज्ञान का लाभ उठाना चाहिए. ग्लोबल साउथ देशों को साझा आकांक्षाओं को प्रगति में बदलने के लिए संसाधनों को एक साथ लाना चाहिए.
गौरतलब है कि भारत में 35 अन्य देशों की महिला शांति सैनिक एकत्र हुई हैं. विश्व के विभिन्न देशों में शांति स्थापना में उनकी बदलती भूमिका की जांच करने व चुनौतीपूर्ण मिशनों में उनकी भागीदारी बढ़ाने के नई दिल्ली में विशेष मंथन किया गया. यहां 35 देशों की महिला शांति सैनिक के बीच रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को दोहराया.
उन्होंने कहा कि भारत ने पांच मार्गदर्शक सिद्धांतों सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति और समृद्धि के माध्यम से अपने वैश्विक जुड़ाव को अभिव्यक्त किया है. उन्होंने रेखांकित किया कि ये सिद्धांत एक ऐसी विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए हमारे राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, जो न्यायपूर्ण, संतुलित और सभी देशों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है.
उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकताएं मानव-केंद्रित, बहुआयामी और स्थायी होनी चाहिए, जो विकास को समावेशी, न्यायसंगत और पर्यावरण संबंधी जागरूकता को सुनिश्चित बनाए.”
संजय सेठ ने वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए असाधारण योगदान देने वाली महिला शांति सैनिकों को सम्मानित किया व उनसे बातचीत की. उन्होंने कहा कि वे रोल मॉडल के रूप में भी काम करती हैं, पारंपरिक लैंगिक मानदंडों को चुनौती देती हैं और स्थानीय महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती हैं.
सम्मेलन के पहले दिन कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई. यहां शांति स्थापना के माहौल में ‘यौन शोषण और दुर्व्यवहार’ से निपटने पर चर्चा की गई. यह पता लगाया गया कि शांति स्थापना में आधुनिक प्रौद्योगिकी किस तरह सुधार ला सकती है. ‘महिला शांति सैनिकों की भूमिका’, ‘ग्लोबल साउथ में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में सहयोग के अवसर’ और ‘शांति स्थापना में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना’ जैसे प्रमुख विषयों पर भी विचार-विमर्श किया गया.
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा, “महिला शांति सैनिक लिंग आधारित हिंसा को रोकने और उसका जवाब देने में योगदान देती हैं, पीड़ितों को सहायता और सुरक्षा प्रदान करती हैं. उनकी उपस्थिति और कार्य स्थायी शांति और सुरक्षा का निर्माण करने में लैंगिक विविधता के महत्व को प्रदर्शित करते हैं.” उन्होंने इस तथ्य पर बल दिया कि भारत शांति स्थापना अभियानों में एक गौरवशाली भागीदार के रूप में काम करता रहा है.
भारत ने 50 से अधिक संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सात दशकों में 2.9 लाख से अधिक सैनिकों को तैनात किया है. उन्होंने कहा, “सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में, हम मानते हैं कि शांति स्थापना केवल बलों को तैनात करने के बारे में नहीं है, बल्कि उनकी क्षमताओं को मजबूत करने, तैयारियों को बेहतर बनाने और संघर्ष समाधान के लिए एक जन-केंद्रित, सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील और समावेशी दृष्टिकोण सुनिश्चित करने में है.”
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि महिला शांति सैनिकों की भागीदारी शांति स्थापना के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है. वे ये सुनिश्चित करती हैं कि संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों से संबंधित जरूरतों को संबोधित किया जाए.
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जीसीबी/