देवघर, 25 फरवरी . झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम की महिमा निराली है. बाबाधाम में भगवान शिव के साथ साक्षात माता शक्ति विराजती हैं और यह धाम जागृत भी है. देवघर को ‘देवताओं का घर’ भी कहा जाता है. यहां के कण-कण में महादेव हैं और हर मुख पर ‘जय शिव’ का अहर्निश जाप भी है.
बाबा बैद्यनाथ धाम को ‘शिव और शक्ति के मिलन स्थल’ के रूप में भी जाना जाता है. यहां भगवान शिव के साथ माता शक्ति भी मौजूद हैं. द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र में भी ‘परल्या वैद्यनाथं’ का उल्लेख है.
बाबा बैद्यनाथ धाम में शिव और शक्ति दोनों हैं, यहां पर माता सती का हृदय गिरा था और उसके ऊपर महादेव शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं. इसी कारण इसे ‘आत्मालिंग’ और ‘कामनालिंग’ भी कहा जाता है.
बाबा बैद्यनाथ धाम का उल्लेख करते हुए द्वादश ज्योतिर्लिंग स्रोतम में लिखा गया है, ”पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसंतं गिरिजासमेतम्. सुरासुराराधितपादपद्यं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि.” मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ धाम में मनोकामना मांगने पर जरूर पूरी होती है.
देवघर में शिव-शक्ति के मिलन की घटना दक्ष प्रजापति के यज्ञ से जुड़ी है. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव और सती का अपमान भरी सभा में किया था.
माता सती अपने पिता के यज्ञ में शामिल होने पहुंची थीं. इस दौरान दक्ष प्रजापति ने महादेव के लिए कई ऐसी बातों का उल्लेख किया, जिससे माता सती नाराज हो गईं. सती अपने पति भोलेनाथ के अपमान को सहन नहीं कर सकीं और यज्ञस्थल में जल रही अग्नि में कूदकर स्वयं को भस्म कर लिया था.
सती के भस्म होने का समाचार मिलने पर महादेव क्रोधित और भावुक हो उठे. महादेव यज्ञ स्थल पर पहुंच गए. इसके बाद सती की देह को लेकर ब्रह्मांड में तांडव करने लगे. वहीं, महादेव की आज्ञा पर वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर काट दिया. हालांकि, बाद में ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर दक्ष को बकरे का सिर प्रदान कर यज्ञ को पूरा किया गया.
सती की देह को लेकर भटक रहे महादेव की स्थिति देखकर देवतागण चिंतित हो गए. फिर, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए. जहां-जहां सती के शरीर के अंग गिरे, वो स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गया. देवघर में माता सती का हृदय गिरा था और बाद में यहां शिवलिंग की स्थापना हुई, इस कारण इस स्थल को ‘हृदयापीठ’ भी कहा जाता है.
बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर के तीर्थ पुरोहित प्रभाकर शांडिल्य कहते हैं, ”देवघर स्थित देवाधिदेव महादेव ‘आत्मालिंग’ हैं. बाबा बैद्यनाथ धाम महादेव शिव और माता शक्ति दोनों का स्थान है. जब भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर को विच्छेद करना शुरू किया था तो देवघर में सती जी का हृदय गिरा था, उसी विशिष्ट स्थल पर रावण द्वारा कैलाश से लाए गए शिवलिंग को भगवान विष्णु जी ने स्थापित किया था.”
उन्होंने आगे बताया, ”बाबा बैद्यनाथ धाम ‘शिव-शक्ति का मिलन स्थल’ है. यही कारण है कि बाबा बैद्यनाथ धाम को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में बाबा बैद्यनाथ ही एकमात्र हैं, जहां शिव-पार्वती का गठबंधन होता है. यह सभी मनोकामना को पूरा करता है.”
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एबीएम/एकेजे