सस्टेनेबल ऑफिस की मांग बढ़ने से देश के कमर्शियल रियल एस्टेट में हो रही ‘हरित क्रांति’

मुंबई, 25 फरवरी . सर्टिफाइड ग्रीन बिल्डिंग की मांग में तेज वृद्धि के कारण देश के कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर में सस्टेनेबिलिटी की ओर एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है.

ग्रेड ए ऑफिस स्पेस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अब ग्रीन-सर्टिफाइड संपत्तियों से बना है, जहां किराएदार रहते हैं और वे पर्यावरण अनुपालन और ऊर्जा दक्षता को प्राथमिकता दे रहे हैं.

क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीसीसी और आईटी/आईटी-इनेबल्ड सर्विस (आईटीईएस) कंपनियां, जो नेट ऑफिस लीजिंग का लगभग 50-60 प्रतिशत हिस्सा हैं, इस बड़े बदलाव को लीड कर रही हैं.

ये फर्म अपनी पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) कमिटमेंट के साथ तालमेल बिठाने के लिए सक्रिय रूप से पर्यावरण के अनुकूल ऑफिस स्पेस की तलाश कर रही हैं.

बदले में डेवलपर्स किराएदारों को आकर्षित करने और हाई ऑक्युपेंसी लेवल बनाए रखने के लिए सस्टेनेबल कमर्शियल प्रोपर्टी के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

कमर्शियल रियल एस्टेट का आपूर्ति पक्ष भी इस ट्रेंड के साथ सामंजस्य बिठा रहा है. क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा किए गए अध्ययन से संकेत मिलता है कि उनके सैंपल सेट में आने वाले लगभग सभी ऑफिस स्पेस के ग्रीन-सर्टिफाइड होने की उम्मीद है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बदलाव रियल एस्टेट सेक्टर में स्थिरता की बढ़ती मान्यता को दर्शाता है.

हालांकि, ग्रीन बिल्डिंग बनाने के लिए ज्यादा शुरुआती निवेश की जरूरत होती है, लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ लागत से ज्यादा होते हैं.

डेवलपर्स एलईडी लाइटिंग, एडवांस हीटिंग और कूलिंग सॉल्यूशन और जल संरक्षण तकनीक जैसे एनर्जी-एफिशिएंट सिस्टम को इंटीग्रेट कर रहे हैं.

ये सुविधाएं न केवल परिचालन व्यय को कम करती हैं, बल्कि संपत्ति के समग्र मूल्य को भी बढ़ाती हैं.

अध्ययन से पता चला है कि ग्रीन-सर्टिफाइड बिल्डिंग पारंपरिक इमारतों की तुलना में 30 प्रतिशत तक ऊर्जा की बचत और 11 प्रतिशत पानी की बचत कर सकती हैं.

क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक गौतम शाही ने कहा, “ग्रीन बिल्डिंग एनर्जी-एफिशिएंट तकनीकों और सस्टेनेबल मटीरियल के इंटीग्रेशन के कारण कम ऊर्जा खपत और पानी के उपयोग के साथ किराएदारों को बेहतर अनुभव और दीर्घकालिक लागत बचत प्रदान करती हैं.”

उन्होंने कहा कि इससे यूटिलिटी खर्च में कमी आएगी, जिसके परिणामस्वरूप किरायेदारों को पारंपरिक भवन की तुलना में ऊर्जा लागत में 30-35 प्रतिशत तक की बचत होगी.

निवेशक भी ग्रीन प्रोजेक्ट को सपोर्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं.

भारत में हरित-केंद्रित फंड अब भी अपने शुरुआती चरण में हैं, उनमें सस्टेनेबल रियल एस्टेट के विकास को गति देने की क्षमता है.

ये फंड डेवलपर्स को अधिक किफायती फंडिंग विकल्प प्रदान कर सकते हैं, जिससे हरित परियोजनाएं ज्यादा आकर्षक बन सकती हैं.

इसके अतिरिक्त, डेवलपर्स को सरकारी प्रोत्साहनों से लाभ होता है जो पर्यावरण के अनुकूल इमारतों के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं.

कुछ राज्य बढ़ा हुआ फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) और दूसरी सब्सिडी प्रदान करते हैं, जिससे डेवलपर्स उपलब्ध भूमि का बेहतर उपयोग कर सकते हैं.

एसकेटी/एकेजे