नई दिल्ली, 24 फरवरी . भारत की पवन ऊर्जा क्षमता में अगले दो वित्त वर्षों में दोगुना से अधिक वृद्धि होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2023-25 में 3.4 गीगावाट की तुलना में औसतन 7.1 गीगावाट (जीडब्ल्यू) होगी. सोमवार को आई एक रिपोर्ट में कहा गया कि इसके लिए सरकारी उपाय मददगार होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे देश की कुल इंस्टॉल्ड पवन ऊर्जा क्षमता 2026-27 तक लगभग 63 गीगावाट हो जाएगी.
क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 में क्षमता वृद्धि 6-7 गीगावाट की सीमा में धीमी बनी रही, क्योंकि वित्त वर्ष 2021-23 में 5.9 गीगावाट और वित्त वर्ष 2023-25 में 5.2 गीगावाट के साथ पवन ऊर्जा क्षमताओं की नीलामी कम सफल रही.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा कम टैरिफ की वजह से डेवलपर्स की कम रुचि के चलते हुआ, जिससे डेवलपर्स के लिए रिटर्न कम हुआ. साथ ही उच्च पवन क्षमता वाले स्थलों पर भूमि और ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता के मामले में समस्याएं भी थीं.
लेकिन, अनुकूल परिस्थितियां उभर रही हैं, जो अगले दो वित्त वर्षों में क्षमता वृद्धि की गति को दोगुना करने में मदद करेंगी.
क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, हाइब्रिड अक्षय परियोजनाओं की नीलामी के लिए सरकार के प्रयास और पवन परियोजनाओं के लिए अनुकूल लागत व्यवस्था के कारण क्षमता वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
स्टैंडअलोन पवन परियोजनाओं की स्थिर नीलामी गति के अलावा, हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की नीलामी में तेजी आई है.
ऐसी हाइब्रिड परियोजनाओं की लगभग 30-50 प्रतिशत क्षमता पवन ऊर्जा से होने की उम्मीद है, क्योंकि ये सौर ऊर्जा के विपरीत पीक लोड समय के दौरान बिजली उत्पन्न करती हैं, जो ज्यादातर दिन के समय उत्पन्न होती है.
इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि ये हाइब्रिड परियोजनाएं वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को महत्वपूर्ण समय पर बिजली शेड्यूल करने की समस्या को हल करने में मदद करती हैं, इसलिए उन्हें ऑफ टेक में पसंद किए जाने और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है.
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक अंकित हखू के अनुसार, देश में 30 गीगावाट से अधिक हाइब्रिड परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं, जिनके अगले 2-4 वर्षों के भीतर चालू होने की उम्मीद है और ये पवन ऊर्जा क्षमता में अपेक्षित वृद्धि में योगदान देंगी.
उन्होंने कहा, “बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) पर हस्ताक्षर करने में भी तेजी दिखाई दे रही है, मार्च 2024 तक नीलाम की गई ऐसी 60 प्रतिशत से अधिक परियोजनाओं के पीपीए जनवरी 2025 तक हस्ताक्षरित हो जाएंगे.”
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