ग्लोबल ब्रोकरेज ने भारत की विकसित हो रही ईवी नीति को सराहा

नई दिल्ली, 24 फरवरी . ग्लोबल ब्रोकरेज और फाइनेंशियल सर्विस क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों ने भारत की विकसित हो रही इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति की सराहना की है. इससे टेस्ला जैसी कंपनियों को देश में सहज तरीके से प्रवेश करने में मदद मिलेगी.

नोमुरा के अनुसार, भारत की ईवी नीति इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की प्रक्रिया को तेज करेगी, जिससे टेस्ला और दूसरे ग्लोबल वाहन निर्माताओं के लिए निवेश करना आसान हो जाएगा.

नीतिगत बदलाव से भारत के चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार होने की भी उम्मीद है, जिससे प्रमुख सप्लायर्स को लाभ होगा.

रिपोर्ट में कहा गया है, “कारों में ईवी पेनिट्रेशन, जो पिछले दो वर्षों में लगभग 2 प्रतिशत रही है, वित्त वर्ष 2027 तक इसके 5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 30 तक 9 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है.”

इसी तरह, रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को अपनाने की दर वित्त वर्ष 2025 में 5.8 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2027 तक 10 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2030 तक 20 प्रतिशत होने का अनुमान है.

घरेलू ऑटो सहायक कंपनियां जो पहले से ही टेस्ला के अमेरिकी परिचालन को घटक निर्यात करती हैं, उन्हें अतिरिक्त व्यवसाय से लाभ हो सकता है.

इसी बीच, वैश्विक ब्रोकरेज सीएलएसए ने कहा कि विस्तारित भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में विस्तार करने के लिए, अमेरिकी प्रमुख टेस्ला को देश के भीतर अपनी कारों का निर्माण करने और उनकी कीमत 25 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के बीच रखने की जरूरत होगी.

सीएलएसए के अनुसार, टेस्ला को अपने मौजूदा पोर्टफोलियो के साथ विस्तार करने के लिए भारत में विनिर्माण स्थापित करने की जरूरत होगी और “अपने वाहनों की कीमत 3.5-4 मिलियन रुपये (लगभग 35-40 लाख रुपये) से कम ऑन-रोड रखनी होगी, भले ही आयात शुल्क 20 प्रतिशत से कम हो जाए.”

ब्रोकरेज ने अपने नोट में आगे कहा कि टेस्ला के प्रवेश से मारुति सुजुकी इंडिया, हुंडई मोटर्स इंडिया और टाटा मोटर्स जैसी घरेलू कंपनियों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत में ईवी की पहुंच विकसित हो रही है और विकास के भरपूर अवसर हैं.

भारत में ईवी की पहुंच अनुमानित 2.4 प्रतिशत है.

इस साल टेस्ला के भारत में प्रवेश करने की तैयारी के बीच, सरकार के देश में ईवी के विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली नई नीति की शर्तों को संशोधित करने पर काम करने की खबर आई है. केंद्र आयात शुल्क में और छूट भी दे सकता है.

एसकेटी/एबीएम