नई दिल्ली, 21 फरवरी . मोदी सरकार के सपोर्ट के कारण भारत के फलों को पहली बार पश्चिम के अधिक फायदा देने वाले बाजार मिले हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिली है.
कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ मंत्रालय अधिकारी ने समाचार एजेंसी से कहा, “महंगे फलों से लेकर पारंपरिक खाद्य पदार्थों तक की यह पहली खेप इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे आत्मनिर्भर भारत के लिए मोदी सरकार का दृष्टिकोण भारतीय किसानों के लिए नए अवसर पैदा कर रहा है.”
उन्होंने बताया कि कृषि निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि भारत ने समुद्र के रास्ते ऑस्ट्रेलिया में प्रीमियम सांगोला और भगवा अनार की पहली खेप सफलतापूर्वक भेजी है. यह कम परिवहन लागत पर थोक निर्यात को बढ़ावा देगी और ऑस्ट्रेलिया के बाजारों में भारत के ताजे फल आसानी से पहुंच सकेंगे, जिससे अधिक भारतीय उपज के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में प्रवेश करने का मार्ग खुलेगा.
भारतीय अनार पश्चिमी ग्राहकों के बीच सफल साबित हुआ है. देश ने 2023 में अमेरिकी बाजार में हवाई मार्ग से ताजा अनार की पहली परीक्षण खेप निर्यात की थी. इससे देश की कृषि उपज को वहां बाजारों में अपनी जगह बनाने में सफलता मिली. महाराष्ट्र के भगवा अनार में पर्याप्त निर्यात क्षमता है और इसका लगभग 50 प्रतिशत निर्यात राज्य के सोलापुर जिले से होता है.
आधिकारियों ने बताया कि जीआई टैगिंग ने भारतीय फलों को विदेशी बाजार में अपनी जगह बनाने में एक अहम भूमिका निभाई है.
भारत के अनोखे जीआई-टैग वाले पुरंदर अंजीर अब यूरोप में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. 2024 में मोदी सरकार ने पुरंदर अंजीर से बने भारत के पहले रेडी-टू-ड्रिंक अंजीर जूस को पोलैंड को निर्यात करने की सुविधा शुरू की थी. इससे पहले 2022 में इसे जर्मनी को भी निर्यात किया गया था. पुरंदर अंजीर अपने अनोखे स्वाद और बनावट के लिए जाने जाते हैं. यह पहल वैश्विक स्तर पर भारत के अनोखे कृषि-उत्पादों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.
2022 में भारत ने केरल के एर्नाकुलम के वजाकुलम से यूएई के दुबई और शारजाह के लिए जीआई टैग वाले “वजाकुलम अनानास” की पहली खेप को भी हरी झंडी दिखाई थी. इससे अनानास किसानों को बेहतर आय मिली.
फलों के अलावा भारत की ओर से अनाजों के निर्यात पर खास फोकस किया जा रहा है. भारत का चावल निर्यात सालाना आधार पर 44.61 प्रतिशत बढ़कर 1.37 अरब डॉलर हो गया है, जो कि जनवरी 2024 में 0.95 अरब डॉलर था.
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एबीएस/