हिंदुओं के हित में बोलने की सजा मिली : सुवेंदु अधिकारी

कोलकाता, 17 फरवरी . पश्चिम बंगाल विधानसभा से सोमवार को विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चार विधायकों को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया.

सस्पेंड विधायकों में पश्चिम बंगाल विधानसभा के नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी, अग्निमित्रा पॉल, विश्वनाथ कारक और बंकिम घोष का नाम शामिल है.

इस सस्पेंशन की वजह उस घटना को बताया जा रहा है, जब भाजपा सदस्यों ने राज्य में सरस्वती पूजा के दौरान विभिन्न हिस्सों में दी गई धमकियों के आरोपों को लेकर कार्य स्थगन प्रस्ताव विधानसभा में लाने की कोशिश की. विधानसभा अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. इसके बाद सुवेंदु अधिकारी पर आरोप लगे कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी पर कागज फेंका, जिसके चलते यह कार्यवाही की गई.

सस्पेंशन के बाद सुवेंदु अधिकारी ने विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने आसन के सामने कोई कागज नहीं फेंका है. टीएमसी का यह आरोप निराधार है.

सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि राज्य में एक अलोकतांत्रिक सरकार चल रही है. विधानसभा अध्यक्ष किसी काम के नहीं हैं. सदन में सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए काम कर रही है. ममता बनर्जी खुद सदन में नहीं आतीं, लेकिन जब हम वहां नहीं आते हैं तो हमारी गतिविधियों पर नजर रखी जाती है. जब हम विधानसभा में आते हैं, तो ममता बनर्जी खुद गायब हो जाती हैं. यह चौथी बार हुआ है, जब भाजपा विधायकों को सस्पेंड किया गया है.

उन्होंने कहा कि यह सरकार संविधान और संसदीय प्रणाली का सम्मान नहीं करती है. सदन के नियमों का पालन नहीं किया जाता है और संख्या बल का उपयोग करके विपक्ष को चुप कराने की कोशिश की जा रही है. राज्य में हिंदू विरोधी नीतियां लागू की जा रही हैं और विपक्ष से अपनी बात रखने का अधिकार छीना जा रहा है. राज्य में कुछ शैक्षणिक संस्थानों में सरस्वती पूजा रोक दी गई है और सरकार इससे निपटने में विफल रही है. हिंदुओं की ओर से बोलने के कारण मुझे अवैध रूप से निलंबित किया गया है. इस बार जिस तरह से देवी सरस्वती की पूजा रोकी गई है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.

वहीं, पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने कहा कि सुवेंदु सहित कुछ भाजपा सदस्यों ने अनुशासन तोड़ा है. इसलिए, उन्हें निलंबित कर दिया गया है. आज विपक्ष के नेता सहित कुछ सदस्यों का आचरण कदापि वांछनीय नहीं है. ऐसे में संसदीय नियमों के तहत निलंबन की कार्रवाई की गई है.

एकेएस/एबीएम