नई दिल्ली, 11 फरवरी . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ रहा है. एक तरफ देश एआई इकोसिस्टम विकसित कर रहा है और दूसरी तरफ सरकार इसके किफायती होने पर भी जोर दे रही है, जिससे आम लोगों को इसका फायदा मिल सके.
भारत के इतिहास में पहली बार है जब सरकार एआई इकोसिस्टम को बढ़ाने के लिए कंप्यूटिंग पावर, जीपीयू और रिसर्च को किफायती कीमत पर उपलब्ध करा रही है.
सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि एआई केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए नहीं है और इस पर बड़ी तकनीकी कंपनियों और वैश्विक दिग्गजों का वर्चस्व नहीं होना चाहिए.
सरकार अपनी नीतियों के माध्यम से छात्रों, स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स की विश्व स्तरीय एआई बुनियादी ढांचे तक पहुंच को सक्षम बना रही है, जिससे वास्तव में समान अवसरों और मौकों का निर्माण हो रहा है. इसमें इंडिया एआई मिशन और सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस फॉर एआई स्थापित करना शामिल है.
मोदी सरकार ने एआई इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 2024 में 10,300 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ ‘इंडिया एआई मिशन’ को मंजूरी दी थी.
उच्च-स्तरीय सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा द्वारा समर्थित इंडिया एआई मिशन भारतीय भाषाओं का उपयोग करके भारतीय संदर्भ के लिए स्वदेशी एआई समाधानों को अनुकूलित करने के करीब है.
इंडिया एआई मिशन के लॉन्च होने के 10 महीने के अंदर ही सरकार लगभग 18,693 जीपीयू की एक उच्च-स्तरीय और मजबूत कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा बनाने में सक्षम रही है.
यह ओपन-सोर्स मॉडल डीपसीक की तुलना में लगभग नौ गुना और चैटजीपीटी की तुलना में लगभग दो-तिहाई है.
मोदी सरकार ने भारत के जीपीयू बाजार को खोलने में अग्रणी भूमिका निभाई है, जिससे छोटे स्टार्टअप, रिसर्चर और छात्र उच्च-प्रदर्शन वाले कंप्यूटिंग संसाधनों तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं.
सरकार अगले कुछ दिनों में देश में संस्थाओं को एआई विकास के लिए 18,000 उच्च-स्तरीय जीपीयू-आधारित कंप्यूटिंग सुविधाएं उपलब्ध कराएगी, और उनमें से 10,000 पहले से ही उपलब्ध हैं.
सरकार ने 10 कंपनियों का भी चयन किया है जो 18,693 जीपीयू की आपूर्ति करेंगी. इसके अतिरिक्त भारत अगले तीन से पांच वर्षों में अपना स्वयं का जीपीयू विकसित करेगा और अगले 10 महीनों में एक घरेलू एआई प्लेटफॉर्म आ सकता है.
सरकार जल्द ही एक कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा शुरू करेगी, जहां स्टार्टअप और शोधकर्ता कंप्यूटिंग पावर तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं. वैश्विक जीपीयू एक्सेस की लागत लगभग 2.5-3 डॉलर प्रति घंटा है और सरकार इसे केवल 1 डॉलर प्रति घंटा पर प्रदान करेगी.
सरकार देश की बड़ी रिसर्च कम्यूनिटी के लिए ओपन डेटासेट तक पहुंच को आसान बनाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है.
इसके अलावा मोदी सरकार ने 2023 में तीन एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) बनाने का ऐलान किया था, जो कि स्वास्थ्य, कृषि और सस्टेनेबल शहरों के क्षेत्र में बनाए जाएंगे. इसके अतिरिक्त सरकार ने 2025 में बजट में शिक्षा के क्षेत्र में नया सीओई बनाने का ऐलान किया है.
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एबीएस/