सिडनी, 11 फरवरी . एक नए अध्ययन में पाया गया है कि लॉन्ग कोविड और क्रोनिक फटीग (थकान) से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में सूजन हो सकती है, खासकर उस हिस्से में जो याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने से जुड़ा होता है.
यह अध्ययन ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफ़िथ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किया, जिसमें उन्होंने अल्ट्रा-हाई-फील्ड मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) तकनीक का उपयोग किया. इस अध्ययन का उद्देश्य यह समझना था कैसे लंबे समय तक कोविड और मायलगिक एन्सेफलोमाइलाइटिस – जिसे क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम (सीएफएस) भी कहा जाता है – समान रूप से मस्तिष्क की संरचना को प्रभावित करते हैं.
शोध में 17 लंबे समय तक रहे कोविड मरीज , 29 सीएफएस मरीज और 15 स्वस्थ लोग शामिल थे. शोधकर्ताओं ने पाया कि लंबे समय तक रहे कोविड और सीएफएस से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस नामक हिस्से का आकार स्वस्थ लोगों की तुलना में बड़ा था. हिप्पोकैम्पस वह हिस्सा है जो सीखने, याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
वैज्ञानिकों ने यह भी देखा कि हिप्पोकैम्पस की सूजन का सीधा संबंध मरीजों में लक्षणों की गंभीरता से था. अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता किरण थपलिया ने बताया कि हिप्पोकैम्पस में आए बदलावों के कारण मरीजों को याददाश्त से जुड़ी समस्याएं, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और बातचीत के दौरान प्रतिक्रिया देने में देरी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.
उन्होंने कहा कि हिप्पोकैम्पस के बड़े आकार का कारण मस्तिष्क में नई कोशिकाओं का बनना (न्यूरोजेनेसिस) हो सकता है या यह वायरस के प्रभाव की वजह से भी हो सकता है. इसके अलावा, शोध में यह भी पाया गया कि जिन मरीजों के हिप्पोकैम्पस का आकार अधिक था, उन्हें एकाग्रता की कमी, नींद में परेशानी, दर्द और अधिक थकान जैसी समस्याएं थीं.
शोधकर्ताओं का मानना है कि लॉन्ग कोविड और सीएफएस के लक्षणों में काफी समानताएं हैं. इस कारण, इन दोनों स्थितियों के लिए संभावित इलाज खोजने में यह अध्ययन मददगार साबित हो सकता है.
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पीएसएम/एएस