भोपाल, 10 फरवरी . मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एम्स भोपाल में हुए मध्य भारत के पहले हार्ट ट्रांसप्लांट से पुनर्जीवन प्राप्त करने वाले मरीज दिनेश मालवीय से मुलाकात कर हालचाल जाना. उन्होंने इस उपलब्धि के लिए एम्स भोपाल की टीम को बधाई भी दी.
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्ष से दिनेश मालवीय हृदय रोग से पीड़ित थे. वह इलाज से मिली राहत से प्रसन्न हैं. अंगदान किस प्रकार लोगों को जीवन देने का माध्यम बनता है, यह ट्रांसप्लांट इस तथ्य को स्पष्टत: दर्शाता है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि नर्मदापुरम निवासी दिनेश मालवीय 22 जनवरी को एम्स भोपाल में भर्ती हुए और 23 जनवरी को उनका हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया. अब, वह पूर्णत: स्वस्थ हैं, उन्हें मंगलवार तक डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. उन्होंने एम्स के डॉक्टरों और पूरी टीम को उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई देते हुए कहा कि मानवता की सेवा के लिए टीम का कार्य प्रदेश को गौरवान्वित करने वाला है.
उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में अंग प्रत्यारोपण, अंग दान, देह दान जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है. एक देह दान से लगभग 9 डॉक्टरों को चिकित्सा संबंधी कई बारीकियों को व्यावहारिक रूप से सीखने में सहायता मिलती है. चिकित्सा शिक्षा के उद्देश्य से मेडिकल कॉलेजों के साथ आयुर्वेदिक महाविद्यालयों में भी पार्थिव देह की आवश्यकता होती है. राज्य शासन देह दान के लिए परिवारों में जागरूकता लाने और उन्हें इस पुनीत कार्य के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण निर्णय ले रहा है. देह दान की पूर्व सूचना देने वालों को राज्य शासन की ओर से सम्मानित किया जाएगा. वहीं, अंतिम संस्कार के लिए गृह विभाग से समन्वय कर उपयुक्त व्यवस्था की जाएगी.
उन्होंने बताया कि अंग दान की पूर्व सूचना देने वाले व्यक्तियों को 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर सम्मानित किया जाएगा. ऐसे जिन व्यक्तियों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं हैं, उनके आयुष्मान कार्ड बनवाए जाएंगे. प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में अंग दान और अंग प्रत्यारोपण की स्थिति बने, इस उद्देश्य से आवश्यक प्रयास किए जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में लोक स्वास्थ्य भी शामिल है. इस उद्देश्य से ही लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग का एकीकरण किया गया. प्रदेश के विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के समान ही राज्य शासन भी आयुर्विज्ञान संस्थान विकसित करेगा. राज्य शासन ने रोगियों को तत्काल स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए पीएमश्री एयर एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध कराई है. एयर एंबुलेंस से प्रतिदिन जीवन रक्षा के उदाहरण सामने आ रहे हैं. एयर एंबुलेंस से एयर लिफ्ट करने में सामान्यतः 5 से 8 लाख रुपये का व्यय होता है. राज्य सरकार ने लोगों की जीवन रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आयुष्मान योजना के माध्यम से आवश्यक प्रबंध किए हैं.
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