महाकुंभ नगर, 8 फरवरी . योगी सरकार की कैबिनेट की बैठक के बाद शनिवार को महाकुंभ में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग की अहम बैठक आयोजित की गई. पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग के प्रदेश स्तरीय अधिकारी तथा प्रयागराज, विंध्याचल और वाराणसी मंडल के अधिकारी उपस्थित रहे. बैठक में विभाग द्वारा संचालित कार्यों की समीक्षा के साथ गोवंश संरक्षण, दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा गोबर और गोमूत्र के व्यावसायिक उपयोग को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.
बैठक में गो संरक्षण को समग्र बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा विस्तृत रणनीति बनाई गई. प्रदेश के सभी गो आश्रय स्थलों के आर्थिक स्वावलंबन के लिए कृषि विभाग के सहयोग से वर्मी कंपोस्ट इकाई स्थापित की जाएगी. कृषि विभाग द्वारा वर्मी कंपोस्ट उत्पादन हेतु केंचुए की आपूर्ति तथा खाद की लाइसेंसिंग व मानकीकरण तथा विपणन की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी.
इसके अलावा बैठक में प्रदेश के सभी जनपदों में गोबर, गोमूत्र से विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाने के लिए तकनीक का विकास एवं पशुपालकों और गो आश्रय स्थल संचालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. गाय और गोपालन को स्कूल पाठ्यक्रम में सम्मिलित किए जाने पर भी प्रदेश सरकार विचार कर रही है, जिससे बच्चों को गाय और गाय के दूध के महत्व के संबंध में ज्ञानवर्धन किया जा सके.
गो आश्रय स्थल संचालकों/चारा उत्पादक कृषकों को चारागाह भूमि पर उत्पादित हरे चारे से साइलेज निर्माण तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा. भारतीय चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी के समन्वय से विभिन्न प्रकार के हरे चारे की किस्मों, नेपियर, एजोला इत्यादि के उत्पादन तकनीक के संबंध में कृषकों तथा गो आश्रय स्थल संचालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.
प्रदेश सरकार द्वारा गो संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए 7,713 गो आश्रय स्थलों में 12,43,623 निराश्रित गोवंशों को आश्रय प्रदान किया गया है. इनके भरण-पोषण के लिए दी जाने वाली धनराशि को 30 रुपए प्रतिदिन प्रति गोवंश से बढ़ाकर 50 रुपए प्रतिदिन कर दिया गया है. वहीं, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1,05,139 लाभार्थियों को 1,62,625 निराश्रित गोवंश सुपुर्द किए गए हैं, जिसके तहत प्रत्येक लाभार्थी को प्रति माह 1,500 रुपए की आर्थिक सहायता दी जा रही है.
बैठक में बताया गया कि मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष अभियान चलाकर चिंहित कुपोषित परिवारों को 1,511 निराश्रित गोवंशों की सुपुर्दगी की गई. प्रदेश में वृहद गो संरक्षण केन्द्रों की इकाई निर्माण लागत 120 लाख रुपए से बढ़ाकर धनराशि 160.12 लाख रुपए करते हुए 543 वृहद गो संरक्षण केन्द्रों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई तथा 372 केन्द्रों का निर्माण पूर्णकर क्रियाशील कर दिया गया है. जनपदों में संचालित गो संवर्धन कोष की धनराशि से राजमार्गों, राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे पशुपालकों के पशुओं में रेडियम बेल्ट और गो आश्रय स्थलों में सीसीटीवी लगाए जाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है.
गोबर और गोमूत्र के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नवाचार किए जा रहे हैं. गाय के गोबर और गोमूत्र को ग्रामीण अर्थव्यवस्था से सीधे जोड़ने की पहल की गई. गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों के विपणन से गो आश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर बनाने एवं ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं.
38 जनपदों में महिला स्वयं सहायता समूहों एवं एनजीओ की भागीदारी से गोकास्ट, गमले, गोदीप, वर्मी कंपोस्ट और बायोगैस उत्पादन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं. मुजफ्फरनगर जनपद के तुगलकपुर कम्हेटा गांव में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से 5,000 गोवंश की क्षमता वाली काऊ सेंचुरी और सीबीजी प्लांट की स्थापना की गई है. साथ ही, कृषि उत्पादकता बढ़ाने हेतु गोबर से तैयार वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किया जा रहा है.
प्रदेश में 9,450 हेक्टेयर गोचर भूमि को गो आश्रय स्थलों से जोड़ा गया है, जिसमें से 5,977 हेक्टेयर भूमि को हरा चारा उत्पादन के लिए चिह्नित किया गया है. आगामी तीन वर्षों में 50,000 हेक्टेयर भूमि पर हरा चारा उत्पादन करने की कार्ययोजना बनाई गई है. इसके तहत जई, बरसीम और नेपियर घास की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा.
प्रदेश सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले नस्लीय सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. कृत्रिम गर्भाधान के लिए सेक्सड सीमेन डोज की कीमत 700 से घटाकर 100 रुपए कर दी गई है. 8,000 युवाओं को पैरावेट के रूप में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसके अतिरिक्त, ब्राजील से उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता वाले 100 साहीवाल भ्रूण आयात कर उन्हें उत्तर प्रदेश में प्रत्यारोपित किया जा रहा है. साथ ही, आईवीएफ और ईटीटी तकनीकों का प्रयोग कर उच्च गुणवत्ता वाले गोवंश प्रजातियों का संवर्धन किया जा रहा है.
राज्य में पशुधन स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने के लिए 520 मोबाइल वेटरनरी यूनिट वैन तैनात की गई हैं, जो टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल मिलते ही किसान के द्वार पर पशु चिकित्सा एवं टीकाकरण की सुविधा प्रदान कर रही हैं. प्रदेश के छह करोड़ से अधिक पशुओं को कृमिनाशक दवाइयों व उपचार की निःशुल्क उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. उत्तर प्रदेश सरकार गो संरक्षण और दुग्ध विकास को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है.
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एसके/एबीएम