स्वास्थ्य बीमाकर्ता वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी न करें : आईआरडीएआई

नई दिल्ली, 7 फरवरी . भारत में स्वास्थ्य बीमा कंपनियों ने विभिन्न आयु वर्गों के लिए प्रीमियम दरों में भारी बढ़ोतरी की है. कुछ कंपनियों ने तो स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को 200 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. इसे देखते हुए, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष और उससे अधिक उम्र) के लिए बीमा प्रीमियम दरों को हर साल 10 प्रतिशत से अधिक न बढ़ाएं.

बीमा नियामक संस्था ने इस बात पर ध्यान दिया कि कुछ बीमा उत्पादों में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए प्रीमियम दरें बहुत अधिक बढ़ाई जा रही हैं. चूंकि वरिष्ठ नागरिकों की आय सीमित होती है और वे बढ़े हुए प्रीमियम से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, इसलिए आईआरडीएआई ने यह निर्देश जारी किया है.

आईआरडीएआई ने निर्देश दिया है कि अगर किसी बीमा कंपनी को 10 प्रतिशत से अधिक प्रीमियम बढ़ाना हो, तो उन्हें पहले आईआरडीएआई से अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा, कोई भी व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा योजना वापस लेने से पहले भी बीमा कंपनियों को आईआरडीएआई से सलाह-मशविरा करना अनिवार्य होगा.

नए निर्देशों में बीमा कंपनियों को यह भी कहा गया है कि वे अधिक से अधिक अस्पतालों को अपने नेटवर्क में शामिल करें और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) की तर्ज पर अस्पतालों के साथ पैकेज दरों को तय करें. इस योजना के तहत, अस्पतालों में इलाज के शुल्क को पहले से तय किया जाता है ताकि सभी को एक समान दर पर इलाज मिले.

आईआरडीएआई का यह कदम बीमा कंपनियों और पॉलिसीधारकों, दोनों के हितों को संतुलित करने के लिए उठाया गया है.

इसके अलावा, जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी घटाने की मांग लंबे समय से की जा रही है. माना जाता है कि अगर बीमा प्रीमियम पर जीएसटी कम किया जाता है, तो इससे बीमा कंपनियों और पॉलिसीधारकों, दोनों का कर भार कम होगा.

बीमा से जुड़े विभिन्न मामलों पर जीएसटी दरों को लेकर मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है. अगली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस विषय पर चर्चा होगी और बीमा प्रीमियम पर मिलने वाली छूट की समीक्षा की जाएगी.

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