मुंबई, 6 फरवरी . महाराष्ट्र के मत्स्य व्यवसाय और बंदरगाह मंत्री नितेश राणे ने मालवण के राजकोट में स्थापित की जा रही छत्रपति शिवाजी महाराज की नई प्रतिमा को लेकर गुरुवार को एक बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा भव्य और मजबूत होनी चाहिए, ताकि यह महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और वीरता का प्रतीक बन सके.
मंत्री नितेश राणे इस संबंध में मंत्रालय में आयोजित एक बैठक में बोल रहे थे, जिसमें प्रतिमा निर्माण कार्य की विस्तृत समीक्षा की गई. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रत्येक कार्य को सुव्यवस्थित और मजबूत तरीके से किया जाए, ताकि प्रतिमा की संरचना स्थिर और सुरक्षित हो. मंत्री ने कहा कि प्रतिमा में छत्रपति शिवाजी महाराज के हाथ में तलवार होगी और वह हाथ हवा में रहेगा. ऐसे में उसकी मजबूती पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस प्रतिमा की विंड टनल टेस्टिंग ठीक से की जाए, ताकि हवा और मौसम के प्रभाव से संरचना प्रभावित न हो.
इसके अलावा, मंत्री राणे ने निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की त्रुटि से बचने की हिदायत दी और कहा कि सभी विभागों, मूर्तिकारों, ठेकेदारों और सलाहकारों की एक विशेष बैठक अगले सप्ताह आयोजित की जाएगी, ताकि सभी पहलुओं की सही तरीके से समीक्षा की जा सके और निर्माण कार्य में कोई कमी न रहे.
बैठक के दौरान सार्वजनिक निर्माण विभाग ने कंप्यूटराइज्ड प्रस्तुति के माध्यम से प्रतिमा निर्माण कार्य की जानकारी भी दी. बताया गया कि प्रतिमा के आधार के लिए पूरी तरह से स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया जाएगा और यह प्रतिमा 60 फीट ऊंची होगी. यह पूरी तरह से ब्रॉन्ज से निर्मित की जाएगी. “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” बनाने वाली कंपनी को इस कार्य की जिम्मेदारी दी गई है. प्रतिमा निर्माण के लिए 31 करोड़ 75 लाख रुपये की प्रशासनिक मंजूरी भी दी गई है. वर्तमान में राजकोट में प्रतिमा के आधार और चबूतरे का निर्माण कार्य प्रगति पर है.
इस अवसर पर मंत्री राणे ने देवगढ़ में प्रस्तावित मत्स्य महाविद्यालय के निर्माण कार्य की भी समीक्षा की. उन्होंने कहा कि देवगढ़ में इस महाविद्यालय के लिए तीन उपयुक्त स्थल उपलब्ध हैं और संबंधित अधिकारियों को उन स्थलों का सर्वेक्षण कर विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करना चाहिए. मंत्री राणे ने यह भी सुनिश्चित करने की बात कही कि यह महाविद्यालय दापोली कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध हो. साथ ही, महाविद्यालय का निर्माण उच्च गुणवत्ता वाला हो और पालघर में प्रस्तावित महाविद्यालय के कार्यों की भी निरंतर समीक्षा की जाए.
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