नई दिल्ली, 3 फरवरी . सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ वाले मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा है.
चीफ जस्टिस ने भगदड़ की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इस मामले में इलाहाबाद कोर्ट में याचिका पेंडिग हैं. इसलिए याचिकार्ता वहां अपनी बात रख सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कराने वाले याचिकाकर्ता ने इस घटना के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी.
13 जनवरी से प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे थे. यहां भगदड़ की घटना तब हुई, जब श्रद्धालु संगम तट की ओर बढ़ रहे थे. इस घटना में 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि 90 से ज्यादा घायल हो गए. राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता वाले आयोग में सेवानिवृत्त आईएएस डीके. सिंह और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी वीके. गुप्ता भी शामिल हैं.
आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार ने हाल ही में प्रयागराज में अधिकारियों के साथ पहली बैठक की. बैठक के बाद आयोग ने संगम नोज के निकट घटनास्थल का निरीक्षण भी किया. जांच आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार ने कहा कि घटनास्थल की टोपोग्राफी और परिस्थितियों का अध्ययन किया जा रहा है. सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों का गहराई से विश्लेषण किया जाएगा.
आयोग को गठन के एक महीने के अंदर मामले की जांच रिपोर्ट देनी होगी. घटनास्थल पर निरीक्षण पूरा कर लिया गया है, लेकिन अगर दोबारा जांच की जरूरत पड़ी तो टीम फिर आएगी. आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि हमारे पास केवल एक महीने का समय है, लेकिन जांच को प्राथमिकता के साथ तेजी से पूरा करेंगे. जांच प्रक्रिया से महाकुंभ में कोई व्यवधान नहीं हो, इसका ध्यान रखा जाएगा. आयोग सभी तथ्यों का गहन विश्लेषण कर किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंचेगा. आयोग ने अस्पताल जाकर घायलों से भी बातचीत करने की योजना बनाई है.
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डीकेएम/